________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल सग्रह 425 (1) नक्षत्र संवत्सरः-चन्द्रमा का अट्ठाईस नक्षत्रों में रहने का काल नक्षत्र मास कहलाता है / बारह नक्षत्र मास का संवत्सर, नक्षत्र संवत्सर कहलाता है। (2) युग संवत्सरः-चन्द्र आदि पाँच संवत्सर का एक युग होता है / युग के एक देश रूप संवत्सर को युग संवत्सर कहते हैं। युग संवत्सर पाँच प्रकार का होता है:(१) चन्द्र / (2) चन्द्र / (3) अभिवर्धित / (4) चन्द्र / (5) अभिवर्धित / (3) प्रमाण संवत्सरः-नक्षत्र आदि संवत्सर ही जब दिनों के परिमाण की प्रधानता से वर्णन किये जाते हैं तो वे ही प्रमाण संवत्सर कहलाते हैं। प्रमाण संवत्सर के पाँच भेदः(१) नक्षत्र (2) चन्द्र (3) ऋतु (4) आदित्य (5) अभिवर्धित / (4) नक्षत्र प्रमाण संवत्सरः--नक्षत्र मास 2714 दिन का होता है / ऐसे बारह मास अर्थात् 32753 दिनों का एक नक्षत्र प्रमाण संवत्सर होता है। चन्द्र प्रमाण संवत्सरः-कृष्ण प्रतिपदा से प्रारम्भ करके पूर्णमासी को समाप्त होने वाला 26 दिन का मास