Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 01
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 513
________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह प्रथम भाग के लिए प्राप्त सम्मतियाँ भाग्नभूपण, शतावधानी पण्डित रत्न मुनि श्री 1008 श्री रत्नचन्द्र जी महागज की सम्मति / श्रावक वर्ग में माहित्य प्रचार करने के क्षेत्र में जितनी लगन साठयाज- श्री अगरचन्दजी भैरोंदानजी सा में दिखाई देती है. उतनी लगन अन्य किमी में क्वचित ही दिग्वार्ड देनी होगी। अभी उन्होंने एक एक बोल का क्रम लेकर शास्त्रीय वस्तुओं का वरूप बताने वाली एक पुस्तक तैयार करने के पीछे अपनी देखरेग्य के अन्दर अपने पण्डितों द्वारा "श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह" के प्रथम भाग को तय्यार करवाने में जो अथाह परिश्रम उठाया है. वह अति प्रशंसनीय है / एक बोल से पाँच बोल तक का विभाग बिल्कुल तैयार होगया है। उस विभाग का अवलोकन तथा सुधार करने के लिए पं० पूर्णचन्द्रजी दक अजमेर तथा पालनपुर आकर उसे आद्योपान्त सुना गए हैं। ___ संक्षेप से पुस्तक जनदृष्टि से बहुत ही उपयोगी है / जैन शैली तथा जैन तत्त्वों को समझने के लिए जैन तथा जैनेतर दोनों को लाभप्रद होगी। ता० 3-7-40 ) पं वसन्ती लाल जैन घाटकोपर c/* उत्तमलाल कीरचन्द (बम्बई) लाल बंगला, घाटकोपर।

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