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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
होता है और उस का ढकना विष का होता है । (३) विष कुम्भ मधु विधान -- एक कुम्भ विष से भरा होता है। और उस का ढकना मधु का होता है । (४) त्रिप कुम्भ विप पिधान -- एक कुंभ विष से भरा हुआ होता है । और उसका ढकना भी विष का ही होता हैं । ( ठाणांग ४ सूत्र ३६० )
१६६ - कुम्भ की उपमा से चार पुरुष
(१) किमी पुरुष का हृदय निष्पाप और अकलुप होता है। और वह मधुरभाषी भी होता है । वह पुरुष मधु कुम्भ मधु पिधान जैसा है ।
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(२) किमी पुरुष का हृदय तो निष्पाप और अकलुप होता है । परन्तु वह कटुभाषी होता है । वह मधु कुम्भ विष पिधान जैसा है
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(३) किमी पुरुष का हृदय कलुपता पूर्ण है । परन्तु वह मधुरभाषी होता है । वह पुरुष विष कुम्भ मधु पिधान जैना है ।
(४) किमी पुरुष का हृदय कलुपता पूर्ण है । और वह कटुभाभी है । वह पुरुष विष कुम्भ विष पिधान जैसा है । ( ठाणांग ४ सूत्र ३६० )
१७० - फूल के चार प्रकार
(१) एक फूल सुन्दर परन्तु सुगन्ध हीन होता है । जैसे आकुली, रोहिड़ आदि का फूल ।
(२) एक फूल सुगन्ध युक्त होता है । पर सुन्दर नहीं होता । जैसे वकुल और मोहनी का फूल ।