________________
( ३४ ) उ०-प्रश्नोत्तर २१ से २८ तक के अनुसार उत्तर दो।
आश्रवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण
प्र० ४१-आश्रवतत्त्व के विषय मे अज्ञानी क्या मानता है ?
उ०-हिसादिरुप पापाश्रव है उन्हे हेय मानता है और अहिसादिरुप पुण्याश्रव है उन्हे उपादेय मानता है।
प्र० ४२-हिसादिरूप पापाश्रव देय हैं और अहिंसाविरुप पुण्याश्रव उपादेय है। ऐसी मान्यता को छहढाला को प्रथम ढाल मे क्या बताया है ? ___ उ०-"मोह महामद पियो अनादि भूल आपको भरमत वादि।" अर्थात्-मोह, राग, द्वेष आदि शुभाशुभ विकारी भाव आश्रव भाव है । ये प्रत्यक्ष दुख के देने वाले है और वध के ही कारण है। इस बात को भूलकर हिसादिरुप पापाश्रव को हेय माननेरुप और हिमादिरुप पुण्याश्रव को उपादेय मानरेरुप मान्यता को मोहरुपी महामदिरापान बताया है।
प्र० ४३-हिसादिरुप पापाश्रव हेय है और हिसादिरुप पुण्याश्रव उपादेय है-ऐसी मान्यता को मोहरही महामदिरापान छहढाला की प्रथम ढाल मे क्या बताया है ?
उ०-(१) मोह, राग-द्वैप आदि शुभाशुभ विकारी भाव आश्रवभाव है। ये प्रत्यक्ष दु ख के देने वाले है और बन्ध के ही कारण है । (२) हिसादिरुप पापाश्रव और अहिसादिरुप पुण्याश्रव दोनो ही हेय है । इसलिये हिसादिरुप पुपाश्रव हेय हैं और अहिसादिरुप पुण्याश्रव उपादेय है, इस खोटी मान्यता को मोहरुपी महामदिरापान बताया है।