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( 21 ) प्रति नमस्कार किया और वे सब अपने-अपने मन मे दीक्षा लेने का विचार करने लगे। दीक्षा के लिए वे सब भगवान ऋपभ देव के समवशरण मे पहुँचे। भगवान को नमस्कार किया। जयकुमार मुनिराज को भी नमस्कार किया और दीक्षा लेकर वे सब मुनि हो गये।
प्र० १६५-ऋषभ देव के दरबार में जाते समय राजकुमार क्या गाते थे? उत्तर-चलो प्रभु के दरवार, चलो दादा के दरबार ।
प्रभु की वाणी सुनेगे, मुनि दशा हम धारेगे । रत्नत्रय को पावेगे, केवल ज्ञान प्रगटायेगे। ससार से हम छूटेगे, सिद्ध स्वय बन जायेगे ।
चलो दादा के दरबार, चलो प्रभु के दरवार । प्र० १६६ जिनकुमार और राजकुमार की कथा से तुमको कौनसी शिक्षा मिली ?
उत्तर-जिनकुमार और राजकुमार की कथा से हमको यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी परिस्थिति मे भगवान का दर्शन नहीं छोडना चाहिये क्योकि हम जिनवर की सन्तान है । हमे प्रतिदिन देव दर्शन गुरु सेवा व शास्त्र स्वाध्याय करना चाहिए।
प्र० १६७-चक्रवर्ती राजा से भी बड़े कौन है ? उत्तर-चक्रवर्ती राजा से भी बडे जिनेन्द्र देव है। प्र० १६८-भगवान की पूजा का पद बोलो ? उत्तर- जल परम उज्जवल गध अक्षत,
पुष्प चरु दीपक धरू। वर धूप निरमल फल विविध,
बहु जनम के पातक हरूँ॥ इह भॉति अर्ध चढाय नित,
भव करत शिव पक्ति मचू ।