Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 313
________________ ( 27 ) वीतरागी निर्मोही होने, है तैयार है तैयार। आत्म ध्यान की धूम मचाने, है तैयार है तैयार । ज्ञायक का पुरुषार्थ करने, है तैयार है तैयार । वीर मार्ग मे दौड लगाने, है तैयार है तयार । मोन का दरवाजा खोलने, है तैयार है तैयार । ससार सागर पार उतरने, है तैयार है तैयार । सिद्ध प्रभु के साथ रहने, है तैयार है तैयार । प्र० २००---जैन धर्म की प्रभावना करने के लिए हम क्या करेंगे? उत्तर--जैन धर्म की प्रभावना करने के लिए हम देव व गुरु की तीर्थधाम की यात्रा, जिन सिद्धान्त का पठन, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र की प्राप्ति व आत्मध्यान आदि कार्य करेगे ।

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