Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 308
________________ ( 22 ) अरहंत श्रुत सिद्धात गुरु, निन्ग्रथ नित पूजा रचू । वसु विधि अर्घ सजोय के, अति उत्साह मन लीन । जासो पूजो परम पद, देव शास्त्र गुरु तीन । प्र० १६९-भगवान की कोई स्तुति बोलो ? उत्तर-तुभ्य नम त्रिभुवनाति हराय नाथ, तुभ्य नम क्षितितलामल भूपणाय । तुभ्य नम त्रिजगत परमेश्वराय, तुभ्य नम जिन ! भवो दधि गोपणाय ।। प्र० १७०-अर्घ मे कौन सी आठ वस्तुयें होती है ? उत्तर-अर्घ में जल, चदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, दीप, धूप, फल ये आठ वस्तुये होती हैं। प्र० १७१-गंधोदक किसे कहते है ? उत्तर-तीर्थकर बालक के (जन्म कल्याणक के समय) अभिषेक का जल, यत्र अभिषेक का जल तथा जिन प्रतिमा के प्रक्षाल का जल गधोदक कहलाता है। प्र० १७२-~'मोक्ष मार्गस्य नेतार' यह स्तुति बोलो? उत्तर- मोक्ष मार्गस्य नेतार, भेत्तार कर्म भूभताम् । ज्ञातर विश्व तत्वाना, वदे तद् गुण लब्धये।। प्र० १७३-यह स्तुति किसने बनायी ? उत्तर-यह स्तुति समन्तभद्र स्वामी ने बनायी। प्र० १७४-मोक्ष मार्ग का नेता कौन है ? उत्तर-मोक्ष मार्ग के नेता अरहत भगवान है। प्र० १७५-हम भगवान को वदन किस लिए करते है ? उत्तर-भगवान जैसे गुणो की प्राप्ति के लिए हम भगवान को बदन करते है।

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