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प्र०७२--कुशील के भाव से नरक का बन्ध बुरा है और ब्रह्मचर्य के भाव से देव का बंध भला है। इस वाक्य पर बन्धतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए।
उ०-प्रश्नोत्तर ६१ से ६८ तक के अनुसार उत्तर दो।
प्र०७३-परिगृह देखने के भाव से नीचगति का बध बुरा है और परिगृह न रखने के भाव से ऊंच गति का बंध भला है। इस वाक्य पर बंधतत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए।
उ०-प्रश्नोत्तर ६१ से ६८ तक के अनुसार उत्तर दो।
प्र०७४-जु आ खेलने के भाव से नरक का बन्ध बुरा है और जुवा न खेलने के भाव से देव का बन्ध भला है। इस वाक्य मे बंधतत्व सम्बन्धी जीव का स्पष्टीकरण कीजिए।
- उ०-प्रश्नोत्तर ६१ से ६८ तक के अनुसार उत्तर दो।
प्र० ७५-मास खाने आदि के भाव से नरक का बन्ध बुरा है और मास न खाने आदि के भाव से देव का बन्ध अच्छा है। इस वाक्य पर बन्धतत्व सम्बन्धी जीव को भूल का स्पष्टीकरण कीजिए ।
उ०-प्रश्नोत्तर ६१ से ६८ तक के अनुसार उत्तर दो।
प्र०७६-परपदार्थों को अपना मानने से निगोद का बन्ध बुरा है और परपदार्थों को अपना न मानने से स्वर्ग का बन्ध अच्छा है। इस वाक्य पर बन्धतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए।
उ०-प्रश्नोत्तर ६१ से ६८ तक के अनुसार उत्तर दो।।
प्र०७७-कंजूसी के भाव से नरक का बन्ध बुरा है और उदारता के भाव से देव का बन्ध अच्छा है। इस वाक्य पर बन्धतत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए।