Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 293
________________ ( 7 ) प्र० ६४-जिसने राग-द्वेष को दूर कर दिया उसे क्या कहते है ? उत्तर-जिसने राग द्वेप को दूर कर दिया उसे जिनदेव कहते है। प्र० ६५--जिनदेव कैसे है ? उत्तर-जिनदेव ही सच्चे भगवान है। प्र० ६६-एक था राजा वह किसलिए रो पड़ा? उत्तर-मुनिराज ने कहा- 'हे राजन । शिकार करने से पाप होता है, पाप से जीव नरक मे जाता है वहाँ वह बहुत दुखी होता है।' यह सुन कर राजा रो पडा। प्र० ६७-सुखी होने के लिए मुनि ने राजा को क्या उपाय बतलाया? उत्तर-मुनिराज ने कहा- 'हे राजन सुख तेरे आत्मा मे ही है। तू शिकार करना छोड दे और आत्मा की पहिचान कर, इससे तू सुखी होगा। प्र० ६८-जीव दो प्रकार के है-वे कौन-कौन से ? उत्तर-जीव दो प्रकार के है एक मुक्त दूसरे ससारी। प्र०६६-स्वर्ग के जीव ससारी है या मुक्त ? उत्तर-स्वर्ग के जीव ससारी है। प्र० ७०-जीव कब तक संसार मे भटकता है ? उत्तर-आत्मा को न पहराने तब तक जीव ससार मे भटकता प्र० ७१-मुक्त होने के लिए जीव को क्या करना चाहिए ? उत्तर-मुक्त होने के लिएजीव को आत्मा की पहिचान करना चाहिए। प्र० ७२-कर्म जीव है य अजीव ? उत्तर-कर्म अजीव है।

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