Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 299
________________ ( 13 ) करू नमन मै सर्व साधु को, पच परमेष्ठी प्रभु मेरे तुम इष्ट हो। प्र० १११-पच परमेष्ठी कौन है ? उत्तर-अरहत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु ये पच परमेष्टी है। प्र० ११२-तुम्हे क्या होना अच्छा लगता है ? उत्तर-हमे अरहत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु होना अच्छा लगता है। प्र० ११३-राजा होना अच्छा लगता है कि भगवान होना अच्छा लगता है ? उत्तर-हमे भगवान होना अच्छा लगता है। प्र० ११४--पंच परमेष्ठी किससे होते है ? उत्तर-वीतराग विज्ञान के द्वारा पच परमेष्ठी होते है। प्र० ११५-पच परमेष्ठी किसका उपदेश देते है ? । उत्तर--पच परमेष्ठी वीतराग विज्ञान का उपदेश देते है। प्र० ११६-अपने को सबसे प्रिय कौन है ? उत्तर-पच परमेष्ठी अपने को सबसे प्रिय है। प्र० ११७-तुम सुबह और शाम को कौन सी स्तुति करते हो? उत्तर-करू नमन मैं अरहत देव को, पच परमेष्ठी प्रभु तुम मेरे इष्ट हो। करू नमन मै सिद्ध भगवत को, पच परमेष्ठी प्रभु तुम मेरे इष्ट हो। करू नमन मै आचार्य देव को, पच परमेष्ठी प्रभु तुम मेरे इष्ट हो। करू नमन मैं उपाध्याय देव को, पच परमेष्ठी प्रभु मेरे तुम इष्ट हो। करू नमन मै सर्व साधु को, पच परमेष्ठी प्रभु मेरे तुम इष्ट हो।

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