Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1909 Book 05
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 299
________________ १४०४] પ્રાસંગિક નેંધ: [ २२८ એડવાઈઝરી બેડ–આ બેડની મીટીંગ તા. ૧૦–૮–૦૯ ના રોજ મળી. પ્રથમ ઉપગહીન ફંડ શેધક કમીટીના સેક્રેટરી શેઠ મોહનલાલ હેમચંદે પિતાની કમીટીને પત્રવ્યવહાર રજુ કર્યો હતો. આવેલા પત્રોના જવાબ કેમ લખવા તે તે વખતે સુચવવામાં આવ્યું હતું. ત્યારબાદ સુકૃતભંડાર ફડ કમીટીના સેક્રેટરી મીત્ર માહનલાલ પુંજાભાઈએ પોતાની કમીટીને લેખીત રીપોર્ટ વાંચી સંભળાવ્યો હતો. ત્યારબાદ ભગવાનની મૂર્તિવાળા બટન, શ્રી મક્ષીજી તીર્થ, શ્રી ગિરનારજી તીર્થ આદિ બાબત ઉપર વિચાર ચલાવવામાં આવ્યો હતો. પછી ઠરાવવામાં આવ્યું હતું કે સમ, કેશરપરીક્ષક કમીટીને રીપેર્ટ જેમ બને તેમ જલદી બહાર પાડવા બંદોબસ્ત કરે વગેરે. - प्रतापगढ मालवा-श्रीयुत सेठ सा. शंकरलालजी घीया सुकृत भंडार फंड सम्बन्धी प्रयास करते हैं यह सुनकर हमेरेको अत्यन्त हर्ष प्राप्त होत है. इन्दौर मालवा से-जथाल जी बोथरा हमको जनाते हैं कि यहांपर खरतर. गच्छाधिपति सुख लागरजी के पटधर छानसागरजी महाराज के सेंघाड़े के श्री श्री १००८ श्रीमति गुरुणोजी साहिबा पुष्पश्रीजी अपने शिष्याओं परिवार सहित विराजमान है. आपके अमृतरूपी सदउपदेशले २४० जनोंने ६०५ उपवासको तपस्या सेठ पूणमवन्द्रजी सावनसुखाके भायोके उत्तर भावसे की. इस साल आपकी साध्वीये जोको मालवे में पधारी हैं उनमें से सादड़ी, मन्दोसर, उज्जैन, बदनांवर, परतापगड़, और महितपुरमें चातुर्मास व्यतीत कर रही है । श्रीमतीजी तथा इनके गुरुवहन सिंहश्रीजीके मिलकर अनुमान १२५ शिष्यों हैं उनका आप सर्व भाई दर्शनोंका अपूर्व लाभ जरूर २ करके लेवेंगे इति शुभम् हमारे उपदेशक मि० शेलिहजीका मालवेका प्रवास-ता० १-८-०९ ई० को सैलानासे रवाना होकर जावरेको पहुंवे वहां श्रीयुत् कुंवर रिखबदासजीकी प्रेरणा से मि० मोतीलाल जीवे सभा की और शेरसिंहजीने हानिकारक रिवाज पर असरकारक भाषण दिया । जावरा निवासी हमारे भाईयोने सुकृत भंडार फन्ड अपने परम पवित्र पर्युषण जी में इकट्ठा करनेको कहा इसके लिये हम उनको धन्यवाद देते हैं और आशा करते हैं कि श्रीपर्युषणजी में सदर फन्ड अवश्य इकट्ठा करके इधर भेजेंगे। ता. ५ तथा ६ को मन्दोसर में कई विषयोपर भाषण दिया. यहांके जैन वान्धवोने स्वयम् सेवको द्वारा सुकृत भंडार की उघरा का काम सुरू कर दिया इससे हम उनको धन्यवाद देते हैं और आशा करते हैं कि दूसरे भाईयोभी इसका अनुकरण करेगे ता. ९ को मल्हारगड़में हानिकारक भाषण देकर वहां के निवासी भाईयोसे हाथीदांतके चूड़े बन्द करानेका ठहराव करवाया. __सुधारा-गत अङ्क में हमने हमारे मानाधिकारी तथा पगारदार उपदेशकों के नाम प्रगट किये हैं उसमें पगारदार उपदेशक मि० शेरसिंहजी कोठारीका नाम होना चाहिये उस जगह केशरीसिंहजी कोठारी होगया. वास्ते पाठकको सूचित करने में आता है कि केशरीसिंहनो कोठारीका नाम रद समझकर उसके बदल शेरसिंहजी समजमा चाहिये ।

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