Book Title: Jain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01 Author(s): Jugalkishor Mukhtar Publisher: Veer Shasan Sangh Calcutta View full book textPage 8
________________ ६ शिकायत बनी रहनेके कारण यह काम इससे पहिले सम्पन्न नहीं हो सका, प्रस्तु । प्राज इस चिरप्रतीक्षित लेखसंग्रहके प्रथम खण्डको पाठकोंके समक्ष रखते हुए मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है । आशा है पाठक इस महत्त्वपूर्ण लेखसंग्रहसे यथोचित लाभ उठाने में समर्थ होगे । अन्तमें मैं इतना और भी प्रगट कर देना चाहता हूं, कि इस संग्रहमें ३२ लेखों - निबन्धोंका संग्रह है जैसा कि लेख सूची मे प्रगट है । अन्तका 'समन्तभद्रका समयनिर्णय' नामका २२वां लेख मुख्तारसा०की हालकी नई रचना है, वह उस समय से पहिले नहीं लिखा जा सका जो उसपर दिया हुआ है, और इसीसे उसे समन्तभद्र-सम्बन्धी लेखोंके सिलसिले में नहीं दिया जा सका। उसके पूर्ववर्ती लेखपर भी जो नम्बर ३२ पडा है वह छपने की गलतीका परिणाम है, "छपने में २६के बाद लेखों पर २८ आदि नम्बर पड़ गये हैं, जबकि वे २७ प्रादि होने चाहिये और तदनुसार सुधार किये जानेके योग्य हैं । कलकत्ता ज्येष्ठ सुदी ५ ( श्रुतपञ्चमी ) वीर नि० सम्वत् २४८२ छोटेलाल जैन मंत्री - श्रीवीरशासन संघ कलकत्ता * इस सूची में यह भी सूचित कर दिया गया है कि कौन लेख प्रथमत: कबकहां प्रकाशित हुआ है और जिन लेखोंका निर्माण-काल मालूम हो सका है उनका वह समय भी लेखके अनन्तर दे दिया गया है ।Page Navigation
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