Book Title: Jain Kumar sambhava ka Adhyayan
Author(s): Shyam Bahadur Dixit
Publisher: Ilahabad University

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Page 8
________________ अनेक ग्रन्थों का अवलोकन तथा उपयोग करने की सुविधा प्राप्त हुई। ___गुण दोष तो सर्वत्र सम्भव है इस शोध-प्रबन्ध में भी अनेक दोष व कुछ गुण हो सकते हैं आशा है कि ‘एको हि दोषो गुणसन्निपाते निमज्जतीन्दो किरणेष्विवाङ्कः" के आदर्श का पालन करने वाले विद्वतगण मेरे उन दोषों के लिए क्षमा करेगें एवं अपने उचित मार्ग-दर्शन द्वारा इस पर और गहन चिंतन के लिए मुझे उत्प्रेरित करेंगे। श्याम बहादुर बीमित श्याम बहादुर दीक्षित

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