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एक आना | बच्चा पांच वर्षकी अवस्था तक शिशु कहलाता है। पुस्तकोंकी शिक्षाका प्रारंभ इसके बाद होता है इसके पहले उन्हें शारीरिक, मानासिक, नैतिक और धार्मिक शिक्षा कैसे और किस ढंगसे देना चाहिए, इसी बातका इस छोटीसी पुस्तकमें विचार किया गया है। जिनके घरमें बच्चे हैं, उन्हें इसे एक बार अवश्य पढ़ जाना चाहिए। भाषा सरल है।
आदर्श आर्या ।
मुर्शिदाबादके सुप्रसिद्ध जमींदार बाबू महताबचन्द्रके अंत:पुरमें प्रवेश करके आज हम एक असामान्य रूप गुणशीला आर्यपत्नीके दर्शन करते हैं उसके मुखमण्डल पर आश्चर्यजनक सुन्दरताके पवित्रताका विलक्षण संयोग हो रहा है । उसके आकर्णविस्तृत लोचनोंसे दया दृढता और उदारता टपक रही है। उसके सुगठित शरीरमें यौवनका मनोहारी प्रकाश प्रस्फुटित हो रहा है; परन्तु वह आतापकारी नहीं है-शीतल और शान्त है । उसके वस्त्राभूषण यद्यपि बहुमूल्य हैं परन्तु उनका उपयोग इस ढंगसे किया गया है कि उनमेंसे गर्व और उद्धतताके बदले नम्रता और निर्मल शीलके पवित्र परमाणु निकलकर चारों और फैलते हैं । उसका अन्वर्थक नाम असामान्या है। वह अपनी कुछ सखियोंके साथ निर्दोष हास्यविनोदमय वार्तालाप कर रही है । इसी समय वहाँ एक बेजान पहचानकी स्त्री आकर खड़ी हो गई। उसके मुँहपर बुरखा पड़ा हुआ था । बेषभूषासे वह कोई उच्चकुलकी मुसलमान स्त्री मालूम होती थीं। कुछ समय तक वह असामान्याके सामने खड़ी रही और टकटकी लगाकर उसकी
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