Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 09
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 72
________________ नई छपी हुई पुस्तकें। श्रीपालचरित-पहली बार जो श्रीपालचरित छपा था, वह चौपाईबंध था-उसे सब लोग सहज ही न समझ सकते थे, इस कारण अबकी बार मास्टर दीपचन्दजीकी बनाई सरल बोलचालकी भाषामें छपाया गया है। पक्की जिल्द बंधी है / मूल्य 10) जम्बूस्वामीचरित-यह भी इसी तरह बोलचालकी भाषामें छपा है। मूल्य।) जैनार्णव-इसके लिए बड़ा नोटिस जो दूसरी अगह छपा हुआ है उसे देखिए / इसमें 100 पुस्तकें हैं / मू०१) हिन्दी भक्तामर-भक्तामर स्तोत्रका खड़ी बोलिमें पं. गिरिधरशमांकृत अनुवाद / मू, सवा आना / जैनगीतावली-बुन्देलखण्ड की स्त्रियोंके लिए व्याह शादियोंमें गानेलायका गीतोंका संग्रह / मू०-) छहढाला अर्थसहित-ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी कृत / अबकी बार निर्णयसागर प्रेसमें खूबसूरतीके साथ छपा है / मूल्य लागतके लगभग ढाई आना। मितव्ययिता-(किफायतसारी)-एक अंग्रेजी ग्रंथके आधारसे बाबू दयाचन्दजी जैनी बी. ए. ने लिखी है। प्रत्येक घरके स्त्री पुरुषों बालक बालिओंको इसे पढना चाहिए। फिजूलखर्ची और बुरी आदतें छुडानेके लिए यह गुरुका काम देगी / मूल्य चौदह आने। विद्यार्थीके जीवनका उद्देश्य--एक नामी विद्वानका लिखा हुआ निबन्ध / प्रत्येक विद्यार्थीको पढना चाहिए।म एक आना। सच्ची मनोहर कहानियां-भारतवर्षके प्रसिद्ध प्रसिद्ध वीर और वीरांगनाओंकी हृदयको फड़का देनेवाली ऐतिहासिक कहानियाँ / सरल, सबके पढने योग्य, जनसमाजमें प्रचार करनेके लिए खास तौरसे मंगाई गई हैं। मल्य आठ आने / सीता चरित-बाबू दयानन्दजी गोयलीय बी. ए. ने जैन ग्रन्थोंके आधारसे सरल हिन्दीमें बड़ी योग्यतासे सीताजीका चरित लिखा है। मूल्य तीन आने / मिलने का पता:For Personal & P देव Use Onारत्नाकर कलोलता ayog हीराबाग, पो. गिरगांव-बम्बई। Nain Education International

Loading...

Page Navigation
1 ... 70 71 72