Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 09
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 71
________________ स्वर्गीय कविवर बनारसीदासजी कृत नाटक समयसार। श्रीयुत नाना रामचन्द्र नाग जैन ब्राह्मण कृत भाषा वचनिका सहित । निर्णयसागर प्रेसमें खुले पत्रोंमें छपा है। अध्यात्मप्रेमियोंको शीघ्र मँगा लेना चाहिए। मूल्य २॥) ढाई रुपया । । दिगम्बर जैन डिरेक्टरी छपकर तैयार है शीघ्र मँगाइए। मूल्य आठ रुपया। लगभग १५ हजार रुपयोंके खर्चसे यह बड़ी भारी पुस्तक तैयार हुई है। सारे हिन्दुस्थानमें कहाँ, कहाँ, कितने, किस जातिके जैनी बसते हैं, क्या - धंदा करते हैं, मन्दिर कितने हैं, मुखिया कौन कौन हैं, किस गाँवका कौनसा डाँकखाना, स्टेशन आदि है, दिगम्बरियोंकी कुल संख्या कितनी है, कौन कौन जातिके कितने कितने घर हैं सिद्धक्षेत्र आदि कहाँ कहाँ हैं, उनका और बड़े बड़े शहरों तीर्थ स्थानोंका प्राचीन इतिहास है, इत्यादि सैकड़ों जानने योग्य बातोंका इसमें संग्रह है। व्यापारियों और नोटिस वॉटनेवाले लोगोंके लिए तो बड़े ही कामकी चीज है। मिलनेका पता:जैनग्रंथरत्नाकर कार्यालय, पो० गिरगांव-बम्बई । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org

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