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- एक प्रगतिशील व्यक्तित्व "श्री रतनचंद मेहता"
प्रोफेसर कंचन कुंवर सिंह परिचय के अपने विशाल दायरे में सम्मान और श्रद्धा की दृष्टि से देखे जाने वाले श्री रतनचंद जी मेहता, निःसन्देह उन कर्मठ, प्रखर बुद्धि और सृजनशील व्यक्तियों में से हैं, जिन्होंने अपनी मौलिक अन्तरदृष्टि से अपने कीर्तिमान स्वयं ही स्थापित किये हैं।
आपके दादा जी श्रीमन्त सेठ गुलावचन्द जी मेहता, सागर के जिले के प्रमुख रईस थे, जिनकी जमीदारी कई गांवों में थी। साहूकारी के अतिरिक्त एक कुशल काश्तकार के रूप में विख्यात आपके दादा जी संगीत, राग-रागनियों, खेल-तमाशों के प्रति एक और गहरी अभिरुचि रखते थे, दूसरी ओर अपने क्षेत्र की सभी रियाया के सुख-दुःख में पूरी तरह साथ निभाने की संकल्प शक्ति भी इनमें विद्यमान थी। सं० १६५६ का अकाल.' 'देश की जनता जिस समय मुत्यु के दर्दनाक दौर से गुजर रही थी, उस समय सेठ गुलाबचन्द जी ने जनता को दिये गये अपने ७५ हजार रुपये न केवल माफ कर दिये, वल्कि उन भूखे हजारों लोगों के लिए निःशुल्क भोजन की व्यवस्था भी की, जिसे आज तक वह पूरा क्षेत्र याद करता है । अंग्रेजों ने उनके इस सराहनीय कार्य पर उन्हें सम्मानित भी किया था। क्षेत्र . के गरीब लोगों के लिए सदैव एक वैद्य इनके साथ रहा करता था । इनके तीन पुत्र थे। सर्व श्री मिलापचंद जी मेहता, अनूपचंद जी मेहता और सुगनचंद जी मेहता । ..
सागर जिले के ग्राम आगासौद में संवत् १९७० में इसी