Book Title: Jain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Author(s): Ratanchand Mehta
Publisher: Kamal Pocket Books Delhi

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Page 158
________________ ( 158 ) पिता दोनों में से एक भी हिन्दू बौद्ध, सिक्ख या जैन रहा हो और जिसका पालन-पोषण उसी जाति वर्ग में या परिवार में उस के सदस्य के रूप में किया गया हो / (4) कोई भी व्यक्ति जिस ने हिन्दू धर्म स्वीकार किया है या कोई भी ऐसा व्यक्ति जो पहले हिन्दू धर्म छोड़ चुका था, किन्तु जिसने पुनः हिन्दू, जैन या सिक्ख धर्म स्वीकार कर लिया हो। जैन समाज के अन्दर हिन्दू विवाह अधिनियम की धारागों तथा उपधारात्रों के अन्तर्गत ही विवाह सम्बन्धी व्यवस्थायें पूर्णरूप से निभाई जाती हैं। . हिन्दू विधि में विवाह तथा हिन्दू विवाह अधिनियम की मान्यता के आधार पर ऐसा कहने में कोई. संकोच नहीं होना चाहिये कि जैन हिन्दू हैं। हिन्दू-विधि पेज 66 (अ) धर्म परिवर्तन के सम्बन्ध में लिखा गया है कि हिन्दू धर्म त्याग कर ऐसा धर्म स्वीकार किया जाय जिससे कि वह व्यक्ति पूर्णतया अहिन्दू हो जाये / इसका तात्पर्य यह है कि हिन्दू धर्म छोड़ कर इस्लाम, क्रिश्चियन, पारसी या जिन धर्म स्वीकार किया गया होना चाहिये / हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार वौद्ध. जन तथा सिक्खों को हिन्दुओं के समकक्ष रखा गया है।' . हिन्दू विधि एक व्यक्तिगत विधि है / व्यक्तिगत विधि से तात्पर्य उस विधि से है जो किसी व्यक्ति पर उसके धर्म अथवा सम्प्रदाय विशेष के सदस्य होने के नाते लागू होती है / इस प्रकार हिन्दू विधि से तात्पर्य उस विधि से है जो किसी व्यक्ति पर उसके हिन्दू होने के नाते लागू होती है। दूसरे शब्दों में वह विधि अहिन्दुओं पर लागू नहीं होती है। इसलिए हिन्दू विधि के १-हिन्दू विधि ? श्रीमती उपा सक्सैना : पृष्ठ 7

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