Book Title: Jain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Author(s): Ratanchand Mehta
Publisher: Kamal Pocket Books Delhi

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Page 172
________________ ( १७४ ) . कर घरवालों को नन्दिर तथा दुकान पर ले जाते हैं, इसी को उठावना कहते हैं। ___ मृत्यु से १३ दिन के बाद तेरवी की जाती है, जिसमें अपने रिश्तेदारों के अलावा ब्राह्मणों को भी भोजन के लिए बुलाया जाता है, यथा शक्ति दान दक्षिणा भी दी जाती है। इसी दिन समाज द्वारा पगड़ी का दस्तूर भी किया जाता है। इस दस्तूर द्वारा पुत्र व अन्य अधिकारी को मृतक की जायदाद का मालिक मान लिया जाता है। कुछ समय तक मृतक की पत्नी भाई व पुत्र नीले पक्के रंग के वस्त्र पहनते हैं, गले में दुपट्टा भी डाले रहते हैं। सिर पर भी दुपट्टा व रूमाल बांध लिया करते हैं । जैन धर्म यह अवश्य कहता है कि जिस रूढ़ि और परम्परा में विवेक और विचार को स्थान हो उसे कायम रखो और जो विवेक और विचार के विरुद्ध हो उसे छोड़ दो। उदाहरणार्थ जैन धर्म यह कहेगा कि मृतक शरीर को यदि फेंका या गाड़ दिया जाता है तो वह सड़ेगा और असंख्य सम्सुर्छिम जीव पैदा होंगे; परन्तु अग्नि में जला देने पर जीव पैदा नहीं होंगे। वह एक ही बार में भस्म हो जाएगा, अधिक हिंसा नहीं होगी।' जैन व वैष्णव सम्प्रदाय में मृत्यु के समय भगवान का नाम लेना व सुनाने की समान प्रथा प्रचलित है । मृत्यु के समय का एक वार का भी नामोच्चारण अत्यन्त महत्वशाली माना गया है, प्राणी मोक्ष पद पा लेता है, ऐसा विश्वास है। इस कारण ही भारतीय प्रथा के अनुसार स्वयं से भगवान का नाम बारवार लेने को कहा जाता है। इसके उपरान्त भी सगे सम्बन्धी मृत्यु को भाई समझ मृतक के कान से लगकर भगवान के नाम का वार-बार उच्चारण करते हैं, ताकि अन्त समय मृतक को भगवान का स्मरण बना रहे । १-जीवन दर्शन-पृ० ६० ले० अमरमुनि

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