Book Title: Jain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Author(s): Ratanchand Mehta
Publisher: Kamal Pocket Books Delhi

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Page 157
________________ हिन्दू-विधि हिन्दू कोन व्यक्ति हैं और कौन नहीं, किनं व्यक्तियों पर हिन्दू विधि की व्यवस्थायें लागू होती हैं, यह विचारणीय है / वास्तव में हिन्दू वे सभी व्यक्ति हैं जो हिन्दू के अनुयायी हैं या जिन्होंने हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया है। पेज 25 पर लिखा है कि हिन्दू धर्म के अनुयायी चार वर्णों में विभाजित किये गये हैं / यह चार वर्ण ब्राह्माण, क्षत्रिय, वैश्य . तथा शूद्र हैं। पेज 26 हिन्दुओं की वैवाहिक प्रथा के सम्बन्धित समयसमय पर अधिनियम पारित किए गए हैं, सन् 1946 में हिन्दू विवाह मान्यता अधिनियम, पास किया गया था जिसमें हिन्दू, सिक्ख तथा जैनियों के बीच तथा इनकी उपजातियों के बीचः परस्पर विवाहों को मान्यता प्रदान की गयी थी। . - पेज 30 हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 26 की: उपधारा (4) निम्नलिखित व्यवस्था है। हिन्दू विवाह अधिनियम में विवाह के अतिरिक्त, विवाह विच्छेद :तथा विवाह, सम्बन्धी उपराधों के विपय में भी व्यवस्थायें की गई हैं। इस अधिनियम के अनुसार निम्नलिखित व्यक्तियों की गणना हिन्दुओं में की जाती हैं (1) बौद्ध, जैन तथा सिक्ख (2) कोई भी वैध या अवैध बच्चा जिसके माता-पिता दोनों हिन्दू हों या बौद्ध, जैन या सिक्ख हों। (3) कोई भी वैध या अवैध बच्चा जिसके माता

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