________________
के बाद दूल्हा दुल्हिन को अपनी मान्यता के अनुसार घोक दिलवाते हैं।
पं० श्री सूरजचंद जी सत्य प्रेमी डांगी जी ने भी लिखा है कि हिन्दू संस्कृति समस्त संसार को परम कल्याण का संदेश सुनाती रही है। सनातन धर्म हिन्दू संस्कृति की प्रात्मा है, जैन धर्म हृदय है, बौद्ध धर्म बुद्धि है, सिक्ख धर्म बाहु है, वैष्णव धर्म मुख है। शैव धर्म मस्तक है। शास्त धर्म वीर्य, गाण पत्य. धर्म पेट है। सौर धर्म तेज है और इसी प्रकार अन्य-अन्य धर्मों को भी उसके भिन्न-भिन्न अंग प्रत्यंग मान लेना चाहिए। इस प्रकार जो संस्कृति अपने भिन्न-भिन्न साधनों से दुर्वितियों को हनन करने की चेष्टा करती है, वही हिन्दू संस्कृति है।'
जैन और बौद्ध हिन्दुओं का धार्मिक साहित्य विशाल है और अधिकांश में पाली-प्राकत में लिखा गया है । जैन हिन्दयों के श्वेताम्बर और दिगम्बर नामक दो भेद हैं और स्याद्वाद नामक दार्शनिक सिद्धान्त बड़ा प्रसिद्ध है । 'कल्याण' के हिंदू संस्कृति अंक में कुछ प्राचार्य और भक्त शीर्षक की शृंखला में पेज ८६४ पर श्री भगवान महावीर के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए लिखा गया है कि सभी वर्ग, सभी जाति के लिए उनके धर्म का द्वार उन्मुक्त था। उनके शिष्यों में चारों वर्गों के मुख महापुरुप हुए हैं। पेज ८०८ पर भगवान् ऋपभदेव के जीवन, उनके त्याग तपस्या पर प्रकाश डाला गमा है ।
भारतीय संस्कृति मिली-जुली संस्कृति है । वहुत प्राचीन काल से हमारा देश अनेक जातियों का संगम स्थल रहा है। प्राचीन काल में भारतीयों को प्रार्य सम्बोधित किया जाता था और भारतीय संस्कृति मूलतः पार्यो की ही संस्कृति है। १-हिन्दू संस्कृति का स्वरूप : हिन्दू संस्कृति . अंक-कल्याण
पृ० ३६०