Book Title: Jain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Author(s): Ratanchand Mehta
Publisher: Kamal Pocket Books Delhi

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Page 128
________________ ( १२६ ) १४. दशवीं, तेहरवीं सदी तक कोल्हापुर, वेलगांव में अपने पराक्रम द्वारा शान्ति का राज्य स्थापित करने वाले शीलहार नरेश जैन थे। १५. जैन सेनापति वोप्पण को एक शिलालेख में बड़ा प्रतापी बताया है। पांचवी से बारहवीं शताब्दी तक बम्बई प्रान्त मैसूर एवं दक्षिण भारत में चालुक्य वंशीय जैन नरेशों का शासन था। १६. कलचुरि नरेशों में महामंडलेश्वर विज्जल अपने पराक्रम और जिनेन्द्र भक्ति के लिए विख्यात थे। १७. महाराज विनयादित्य के जिन भक्त पुत्र एरयंग महान योद्धा थे, उन्होंने श्रमणवेल गोला के जिन मन्दिरों का जीर्णोद्धार कराया था। १८. ईसवी सन् १९६० के शिलालेख में चामुन्डराय का उल्लेख पाया है। इनके दिपय में कहा जाता है कि इन से बढ़ कर वीर सैनिक, जैन धर्म भक्त, सत्यनिष्ठ व्यक्ति कर्नाटक में कोई और नहीं था। १६. जिन धर्म भक्त सेनापति हल्ल और अमात्य गंग का नाम भी उल्लेखनीय है। २०. दक्षिण भारत की जैन वीरांगनामों में जवकेयावी, जवकलदेवी, सावियवी, भैरवीदेवी आदि विशेप विख्यात है। २१. श्री विश्वेश्वरनाथरेऊ कृत 'भारत के प्राचीन राजवंश' [पृष्ठ २२७-२२८] और रायबहादुर महामहोपाद्याय पंडित गौरीशंकर, हीरानन्द अोझ के 'राजपूताना का इतिहास' [पृ० ३६३] के अनुसार वीर भूमि राजपूताना. में शासन करने वाले चाहान, शोलंकी, गहलोत यादि जैन धर्मावलम्बी वीर पुरुप थे । अजमेर के नरेश पृथ्वीराज प्रथम ने जैन मुनि अमयदेव के प्रति अपनी भक्ति प्रदशित की थी।

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