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हिन्द राष्ट्रीयता का प्रतिनिधि है.
जाति और धर्म नहीं
एक वार, एक वर्ष पूर्व प्राचार्य श्री चुलसी ने कहा था-वे हिन्दू हैं जो हिन्दुस्तान के नागरिक हैं । हिन्दू शब्द का अर्थ राष्ट्रीयता के संदर्भ में किया गया है। कुछ विद्वानों ने इसका अर्थ जाति और धर्म के संदर्भ में किया है । राष्ट्रीयता के संदर्भ में किया जाने वाला अर्थ मूल भावना का स्पर्श करता है और प्राचीन है । जाति और धर्म के संदर्भ में किया जाने वाला अर्थ पल्लवग्राही और अर्वाचीन है।
इन दोनों की ऐतिहासिक पृष्ठ-भूमि का अध्ययन करना प्रावश्यक है । पहले हम दूसरे अर्थ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर विचार करें, हिन्दुस्तान में हजारों वर्षों से चार वर्ण और अनेक जातियां रही हैं । मनुष्य जाति एक है । इस अभेदात्मक सत्ता के उपरान्त भी उसकी भेदात्मक सत्ता जीवित रही है। फलतः मनुष्य अनेक जातियों में विभक्त रहे हैं। सारी जातियों का समाहार ब्राहाण, क्षत्रीय, वंध्य और शूद्र चारों वर्गों में होता