________________
कर चलने की सलाह दी है।'
'वे (आचार्य तुलसी) सीता को नारी-रत्न अमूल्य, शारदातुल्य सयानी गृहलक्ष्मी, माधुर्य मूर्तिसी, सद्गुण-गौरव-गीता के रूप में महासती ही चित्रित करते हैं । तथा इसी रूप में शील और पवित्र जीवन बिताने की शिक्षा देते हैं।
'जिसमें सीता का शौर्य भरा जीवन देता संदेश नया । आदेश नया उपदेश नया नारि-जागृति उन्मेष नया ॥ महिला के, माता के मिलते, इसमें सीता के युगल रूप । अपने ही सत्य, शील, वल से निखरा जग में उसका स्वरूप ।३
अन्ततः यह निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि आज जैन सम्प्रदाय राम तथा सीता के प्रति उतनी ही श्रद्धा एवं सम्मान रखता है जितना अन्य सम्प्रदाय ।
१-अटल बिहारी वाजपेयी :
पृष्ठ १५ २-रत्नसिंह शाण्डिल्य :अग्नि परीक्षा : चिन्तन का आव्हान-पृष्ठ २ ३-आचार्य तलसी :अग्नि परीक्षा-पृष्ठ