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( ७४ ) था। उनका विस्तार हजारों-हजारों जातियों में हुआ । उनमें हिन्दू नाम की कोई जाति नहीं थी । जाति के साथ-साथ हिन्दू शब्द का योग विदेशी आक्रमणों की मध्यावधि में हुआ । हिन्दुस्तान धर्मों का समाहार है, वैदिक, जैन और बौद्ध इन तीन धाराग्रों में होता हुआ उसका विस्तार सैंकड़ों शाखाओं, प्रशाखात्रों में हुआ । उनमें हिन्दू नाम का कोई धर्म नहीं है । धर्म के साथ हिन्द शब्द का योग बहुत ही अर्वाचीन है । "
१- समस्या का पत्थर अध्यात्म को छेनी - रचेता मुनि नथमल जी