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इन तीनों मान्यताओं पर आचरण करने वाला हिंदू
है । "
सिद्धान्त और व्यवहार का समन्वय डा० हेडगेवार वीर सावरकर की तरह ही हिन्दू की व्यापक और सर्वप्रिय परिभाषा यहीं मानते थे कि भारत भूमि को जो व्यक्ति अपनी जन्मभूमि, कर्मभूमि और पितृभूमि मानता है वह राष्ट्र नहीं है । उसे इस भूखण्ड को पितृभू और पुण्यभू मानना श्रावश्यक है और यह भाव हिंदू ही धारण कर सकता है। वह इस देश को अपनी जन्म-भूमि मानता है । इसलिए यह मातृभूमि हुई । उसके सभी पूर्वज इसी भूमि पर उत्पन्न हुए हैं और यही उनकी शाश्वत कर्मभूमि रही है, इसलिये यह हिंदुओं की पितृ-भू हुई । सम्पूर्ण वेद-शास्त्रों और दर्शन-ग्रंथों का आविर्भाव इसी खण्ड पर हुआ है |
यह देश हिंदू राष्ट्र है और इसी राष्ट्र का राष्ट्रीय हिंदू
है | 2
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हिंदू शब्द की परिभाषा - हिंदू इस राष्ट्र में जाति रूप में वह प्रवहमान धारा है जो वैदिक ऋषियों, रामायण और महाभारत काल के राजन्य तथा ब्राह्मण्य के पुरोधात्रों, परवर्ती अस्तिक दर्शनों के आचार्यों, वौद्ध और जैन धर्माचार्यो, सन्तों एवं शिष्य गुरुओं को श्रद्धा भाव अर्पित करते हुए यूनान, (ग्रीक) शुंग, हूण-सं मुस्लिम एवं ईसाई आक्रांताओं के आघातों को सहन करती हुई तथा उनका निराकरण करती हुई इस भारत
१ - हिन्दुत्व का अनुशीलन - तनसुख राम गुप्ता पृ० १७ २- हिन्दुत्व का अनुशीलन - तनसुख राम गुप्त - पृ० ४६