Book Title: Jain Dharm aur Vidhva Vivaha 02
Author(s): Savyasachi
Publisher: Jain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi

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Page 9
________________ [ग] उसका उपाय यही है कि हर एक कुटुम्य अपने २ घर में जो को विधया हो जाय उससे एकान्त में यान करें। यदि उम को बानत्रीत में व उसके रहन सहन के ढग से प्रतीत हो कि यह ब्राह्मवयं व्रत को पाल लेगी नय तो उसे वैराग्य के साधनों में रख देना चाहिये और जो कोई कहें कि वह पूर्ण ब्रह्मचर्य नहीं पाल मानी है नय जो उमऊ मरक्षक हो-चाहे पिता घर वाले चाहे श्रसुर घर वाले उनका यह पवित्र कर्तव्य है कि उमका कन्या के ममान मानकर उसका विवाह योग्य पुरुष के माय कर दे । यो लज्जा के कारण अपने मनका हाल स्पष्ट नहीं कहनी है। उनके मंग्नकों का कर्तव्य है कि उसकी शक्ति के अनुमार उसके जीवन का निर्णय करदें। समाज की रक्षा चाहने वाला मन्त्री - -

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