Book Title: Jain Dharm Vishayak Prashnottara
Author(s): Atmaramji Maharaj, Kulchandravijay
Publisher: Divya Darshan Trust

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ . . . . . . .. . . .. . . . . . . .. . . .. . . . . . ..................... ...... .............. ... " . . . . . . . . . . . . . . . . ................. जैन प्रश्नोत्तरं अनुक्रमणिका विषय .. प्रश्नोत्तर-अंक जिन अरु जिन शासन ............ १-२ तीर्थंकर ............ ३-४ महाविदेह आदि क्षेत्रोमें मनुष्योंकों जानेकें लिये हरकतो .......... भारतवर्ष ... भारतवर्षमें तीर्थंकरों .. प्रस्तुत चोवीसीके तीर्थंकरोका मातापिता ऋषभदेवसे पहिले भारतवर्ष में धर्मका अभाव. .............. ......... ऋषभदेवने चलाया हुवा धर्म अद्यापि चला आता है, तिस विषयक ब्यान ................. .............११ ................ १२-१३-१४-२१-२२ ..................... २३-२४-२५-२६-२७ ... २८-२९-३०-३१-३२ .३३.३५-३६-३७-४२ महावीरचरित ..४३-४४-४५-४६-४७ .............. ४८-४९-५०-५१-५२ ............. ५३-५४-५५-५७-५८ ................ ५९-८३-८४-८५-८६ .. ८७-८८-८९-९२-९३ ...........................१३४-१३६-१३७-१३८ ज्ञातिवगेरा मदका फल............ ..........१५-१९ जैनीयोएं अपने स्वधर्मिकों भ्राता सदृश जाननां ....... ..........१६-१७ जैनीयोमें ज्ञाति . .१८-२० परोपकार ................... ..................३४ ............... ......... ...... ........................ ..... ............. - GAGAGAG00000GOAGORGADAGAGUAG000 ADORO COGEDAGOGADOR Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130