Book Title: Jain Dharm Vishayak Prashnottara
Author(s): Atmaramji Maharaj, Kulchandravijay
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 21
________________ प्र ९. इन चौवीस तीर्थंकरोंके माता पिता के नाम क्या क्या थे . उ. नाभि कुलकर पिता श्री मरुदेवी माता १ जितशत्रु पिता विजयामाता २ जितारि पिता सेना माता ३ संबर पिता सिद्धार्था माता ४ मेघ पिता मंगला माता ५ धर पिता सुसीमा माता ६ प्रतिष्ठ पिता पृथ्वी माता ७ महसेन पिता लक्ष्मण माता ९ सुग्रीव पिता रामा माता ९ द्दढरथ पिता नंदामाता १० विश्नु पिता विश्नुश्री माता ११ वसुपूज्य पिता जया माता १२ कृतवर्म्मा पिता श्यामा माता १३ सिंहसेन पिता सुयशा माता १४ भानु पिता सुव्रता माता १५ विश्वसेन पिता अचिरा माता १६ सूर पिता श्री माता १७ सुदर्शन पिता देवी माता १९ कुंभ पिता प्रभावति माता १९ सुमित्र पिता पदमावति माता २० विजयसेन पिता वप्रा माता २१ समुद्रविजय पिता शिवा माता २२ अश्वसेन पिता वामा माता २३ सिद्धार्थ पिता त्रिशला माता २४ ये चौवीस तीर्थंकरोके क्रमसें माता पिताके नाम जान लेने चौवीसही तीर्थंकरोके पिता राजेथे. वीसमा २० और बावीसमा ये दोनो हरिवंश कुलमे उत्पन्न हुए थे और गौतम गोत्रीथे शेष २२ बावीस तीर्थंकर ईक्षाकुवंश मे उत्पन्न हुए थे और काश्यप गोत्रीथे. प्र. १० श्री ऋषभदेवजी सें पहिलां इस भरत खंडमे जैन धर्मथा के नही. उ. श्री ऋषभदेवजीसे पहिलां इस अवसर्पिणि कालमे इस भरत खंडमे जैनधर्मादि कोई मतकाभी धर्म नहीथा इस कथन में जैन शास्त्र ही प्रमाण है । प्र.११. जैसा धर्म श्री ऋषभदेवस्वामीने चलायाथा तैसाही आज पर्यंत चलाता है वा कुछ फेरफार तिसमें हुआ है. उ. श्री ऋषभदेवजीनें जैसा धर्म चलायाथा तैसा ही श्री महावीर भगवंते धर्म चलाया इसमें किंचितमात्र भी फरक नही है सोइ धर्म आज काल जैन मतमें चलता है । प्र.१२. श्री महावीरस्वामी किस जगें जन्मेथे और तिनके जन्म हुआंकों आज पर्यंत १८४५ संवत तक कितने वर्ष हुए है । प्र. श्री महावीरस्वामी क्षत्रियकुंडग्राम नगर में उत्पन्न हुए थे और Jain Education International wever ५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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