Book Title: Jain Dharm Vishayak Prashnottara
Author(s): Atmaramji Maharaj, Kulchandravijay
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 53
________________ और कोशल देशके नव मल्लिक जातिके राजे २१ पुलासपुरका विजयनामा राजा २२ अमलकल्पा नगरीका श्वेतनामा राजा, २३ वीतभय पटनका उदायन राजा २४, कौशांबीका उदायन वत्सराजा, २५, क्षत्रियकुंड ग्राम नगरका नंदिवर्धन राजा, २६ उज्जयनका चंदप्रद्योत राजा, २७ हिमालय पर्वतके उत्तर तर्फ पृष्टचंपाके शाल महाशाल दो भाइ राजे २८ पोतनपुरका प्रसन्नचंद्र राजा, २९ हस्तिशीर्ष नगरका अदिनशत्रु राजा, ३० ऋषभपुरका धनावह नामा राजा, ३१ वीरपुर नगरका वीरकृश्न मित्र नामा राजा, ३२ विजयपुरका वासवदत्त राजा, ३३ सोगंधिक नगरीका अप्रतिहत नामा राजा, ३४ कनकपुरका प्रियचंद्र राजा, ३५ महापुरका बलनामा राजा, ३६ सुघोस नगरका अर्जुन राजा, ३७ चंपाका दत्त राजा, ३८ साकेतपुरका मित्रनंदी राजा ३९ इत्यादि अन्यभी कितनेक राजे श्री महावीरके भक्त थे, येह सर्व राजायोंके नाम अंगोपांग शास्त्रोमें लिखे हुए है । प्र.७७. जो जो नाम तुमने महावीर भगवंतके भक्त राजायोंके लिखे है, बौद्धमतके शास्त्रों में तिनही सर्व राजायोंकों बौद्धमति लिखा है, तिसका क्या कारण है । उ. जितने राजे श्री महावीर भगवंत के भक्त थे, तिन स्वकों बौद्धशास्त्रोंमें बौद्धमति अर्थात् बुधके भक्त नहि लिखे है, परंतु कितने क राजायों का नाम लिखा है, तिसका कारणतो ऐसा मालुम होता है कि पहिलें तिन राजायोंने बुधका उपदेश सुनके बुधके मतकों माना होवेगा, पीछे श्री महावीर भगवंतका उपदेश सुनके जैनधर्ममें आये मालुम होते है, क्योंकि श्री महावीर भगवंत सें १६ वर्ष पहिलें गौतम बुधने काल करा, अर्थात् गौतम बुधके मरण पीछे श्री महावीरस्वामी १६ वर्ष तक केवलज्ञानी विचरे थे, तिनके उपदेशमें कितनेक बौद्ध राजायोंने जैन धर्म अंगीकार करा, इस वास्ते कितनेक राजायों का नाम दोनो मतोमें लिखा मालुम होता है । प्र. ७८. क्या महावीर स्वामीसें पहिलां भरतखंडमें जैनधर्म नही था ? उ. श्री महावीर स्वामीसें पहिलां भरत खंडमें जैनधर्म बहुत कालसें चला आता था, जिस समयमें गौतम बुधने बुध होनेका दावा करा, और अपना धर्म चलाया था, तिस समयमें श्री पार्श्वनाथ २३ मे तीर्थंकरका शासन ३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only RES CO-OPALOM www.jainelibrary.org

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