Book Title: Harsh Hriday Darpanasya Dwitiya Bhag Author(s): Kesharmuni Gani Publisher: Buddhisagarmuni View full book textPage 8
________________ अर्थ-अथ ऐसे उपदेश देने के अनंतर श्री मोहनलाल जी महाराज ने अपने पास आये हुए सब शिष्यों को पूछा कि इस समय में कौन कौन शिष्य किस किम गच्छ की समाचारी करता है-पन्यास श्रीयशोमुनि जी तथा कमलमुनि जी ने कहा कि हम क्षेत्र के अनुरोध से खरतरगच्छ की समाचारी करते हैं, तो यह उक्त लेख हर्षमुनि जी ने सत्य छपवाया है कि मिथ्या ? [उत्तर] हर्षमुनि जी ने यह उपर्युक्त लेख अपने मनः कल्पना से असत्य छपवाया है क्योंकि श्रीमोहनलाल जी महाराज ने अपने पास आये हुए १७ शिष्य प्रशिष्यों को यह उपदेश दिया था कि मेरी आज्ञा से पन्याम यशोमुनि आदि खरतरगच्छ की समाचारी करते हैं मैंने हर्षमुनि आदि को खरतरगच्छ की समाचारो करने के लिये दो तीन बेर बहुत कहा तथापि मेरी आज्ञा स्वीकार नहीं की अतएव सके समक्ष तुम लोगों से यह कहता हूँ कि मेरी आज्ञा पालन करने के लिये तुम लोग ५० दिने पर्युषण आदि शास्त्रमम्मत खरतरगच्छ की शुद्ध समाचारी करना कबूल करा इत्यादि उपदेश देने पर जिन शिष्य पशिष्यों ने श्री गुरु महाराज की उक्त आज्ञा का पालन और उत्थापन (उल्लंघन) किया मो इर्षमुनि जी ने उत्तरार्द्ध श्रीमोहनचरित्र के पृष्ठ ४२० में इस तरह छपवाया है कि ऋद्धिमुनिप्रभृतिभिस्त्रिभिर्यशोमुनिमनुकर्तुमिच्छाम इतिकथितम् । ___ अर्थ-ऋद्धिमुनि जी आदि तीन मुनियों ने याने ऋद्धिमुनि जी, रनमुनि जी, भावमुनि जी तथा उपर्युक्त कमलमुनि जी और चीमनमुनि जी ने कहा कि हम लोग आपकी आज्ञा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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