Book Title: Harsh Hriday Darpanasya Dwitiya Bhag
Author(s): Kesharmuni Gani
Publisher: Buddhisagarmuni

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ ( ४४ ) जी के महामिथ्या वचन कौन सत्य मानेगा ? क्योंकि आगम में तो नियुक्तिकार श्रीभद्रबाहुस्खामि ने लिखा है कि अभिवढियंमि २० वीसा, इसरेसु २० सवीसइ १ मासो। और श्रीनिशीथचूर्णि में श्रीजिनदासमहत्तराचार्य महाराज ने लिखा है कि अभिवढिय वरिसे २० वीसतिरात्ते गते गिहिणातं करेंत तिसु चंदवरिसेसु २० सवीसतिराने १ मासे गते गिहिणातं करेंति इत्यादि। उपर्युक्त सिद्धांतपाठों से जैनटिप्पने के अनुसार अभिवर्द्धित वर्ष में २० वें दिन श्रावण सुदी ५ को गृहिज्ञात सांवत्सरिक कृत्य विशिष्ठ पर्युषण करें और तीन चंद्रवर्षों में २० रात्रि-सहित १ मास याने ५० वें दिन भाद्र सुदी ५ को गृहिज्ञात सांवत्सरिक कृत्य-विशिष्ट पर्युषण करें । इस काल में जैनटिप्पने का सम्यग् ज्ञान नहीं है, वास्ते अभिवर्द्धित वर्ष में जैनटिप्पने के अनुसार २० वें दिन श्रावण सुदी ५ को गृहिज्ञात सांवत्सरिक कृत्ययुक्त पर्युषण के स्थान में लौकिक टिप्पने के अनुसार ५० वें दिन दूसरे श्रावण सुदी ४ को वा प्रथम भाद्र सुदी ४ को पर्युषण करना संगत (युक्त) है । अर्थात् ८० दिने भाद्र सुदी ४ को वा दूसरे भाद्रपद अधिक मास की सुदी ४ को ८० दिने पर्युषगा करना संगत नहीं हैं (युक्त नहीं हैं)। सो ऊपर में अनेक शास्त्रपाठों से बता चुके हैं। महाशय वल्लभविजयजी ! आपके धर्मसागरजी आदि उक्त Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87