Book Title: Harsh Hriday Darpanasya Dwitiya Bhag
Author(s): Kesharmuni Gani
Publisher: Buddhisagarmuni

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Page 30
________________ (२३ ) करनेवालों को शास्त्र-ग्राज्ञा-भंग दोष लगता है ५० दिने पर्यषणा करनेवालों को नहीं । यह भी सत्य मान कर अपनी आत्मा को उत्सूत्र पाप से बचावें क्योंकि आपके गच्छनायक श्रीनेमकीर्तिसूरिजी महाराज ने श्रीवृहत्कल्पसूत्र की टीका में और श्रीभद्रबाहु स्वामि ने नियुक्ति में पर्युषणा को पाँच पाँच दिनों के पंचकद्वारा करने की आज्ञा लिखी है । तत्संबंधी पाठ यथा ___ एत्थउ पणगं पणगं, कारणीय जाव सवीसइ मासो । सुद्ध दसमी ठियाण, आसाढ़ी पुणिमो सरणं ।१। अत्रेति आषाढ़ पुर्णिमायां स्थिताः पञ्चाहं यावदेव संस्तारकं डगलादि गृह्णन्ति रात्रौ च पर्युषणाकल्प कथयन्ति ततः श्रावण बहुल पञ्चम्यां पर्युषणां कुर्वन्ति अथाषाढ़ पूर्णिमायां क्षेत्रं न प्राप्तं तत एवमेव पंञ्चरात्रं वर्षावासयोग्य मुपधिं गृहीत्वा पर्युषणाकल्पं च कथयित्वा श्रावणबहुल दशम्यां पर्युषणयन्ति एवं कारणेन रात्रिदिवानां पंचकं पंचकं वईयता तावत्स्थेयं यावत् सविंशतिरात्रो मासः पूर्णः । अथवा ते आषाढ़ शुद्ध दशम्यामेव वर्षाक्षेत्रे स्थितास्ततस्तेषां पंचरात्रेण डगलादौ गृहीते पर्युषणाकल्पे च कथिते अाषाढ़ पूर्णिमायां . समवसरणं पर्युषणं भवति एष उत्सर्गः । अत उर्दकालं पर्युषण मनुतिष्ठतां सर्वोऽप्यपवादः । अपवादोऽपि सविंशतिरात्रात् Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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