Book Title: Granthraj Shri Pacchadhyayi
Author(s): Amrutchandracharya, 
Publisher: Digambar Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 12
________________ पृष्ठ संख्या १९९ से २०१ १९१ से २०१ २०१ से २०८ २०१ से २०८ २०१ से २१६ २०१ से २१० २१० से २१६ २१७ से ३३१ ( १८ ) -- - - विषय सूत्र संख्या दसतों अवान्तर अधिकार ७३८ से ७४५ निक्षेपों का वर्णन ७३८ से ७४५ ग्यारहवाँ अवान्तर अधिकार ७४६ से ७६८ मय प्रमाण को लगाने की पद्धति ७४६ से ७६८ परिशिष्ट दृष्टि परिज्ञान (३) इस भाग के प्रश्नोत्तर द्वितीय खण्ड/चतुर्थ पुस्तक विशेष वस्तु निरूपण ७६९ से ११४२ प्रतिज्ञा ७६९ से ७७० पहला अवान्तर अधिकार ७७१ से ७९५ सत् की चार विशेषतायें ७७१ से ७९५ (क) जीव-अजीव की विशेषता ७७१ से ७७४ (ख) मूर्त-अमूतं की विशेषता ७७५ से ७८९ (ग) लोक-अलोक की विशेषता ७९० से ७९१ (घ) क्रिया और भाव की विशेषता ७१२ से ७९५ दूसरा अतान्तर अधिकार जीव और कर्म के अस्तित्व और उसके बंध का निरूपण ७९६ से ८१९ प्रतिज्ञा ७९७ जीव और कर्म के अस्तित्व और उसके बन्थ का निरूपण तीसरा अतान्तर अधिकार ८२० से ८३८ आत्मा और कर्म के बन्ध की सिद्धि ८२० से ८३८ चौथा अतान्तर अधिकार ८३९ से ९०० १. बद्धत्व २. अशुद्धत्व ३. और दोनों का अन्तर ८३९ से १०० पाँचवाँ अवान्तर अधिकार ९०१ से १५७ नौ पदार्थों की सिद्धि ९०१ से १५७ प्रतिज्ञा ९०१ नयों का लक्षण ९०२ नयों का वाच्य ९०३ से ९०९ शंकाकार द्वारा नौ पदार्थों में अवाच्यता की सिद्धि प्रथम समाधान नौ पदार्थों में वाध्य की सिद्धि ९१८ से १४१ दूसरी बार नौ पदार्थों में वाच्य की सिद्धि ९४२ से १४४ तीसरी बार नौ पदार्थों में वाच्य की सिद्धि ९४५ से ९४६ चौथी बार नौ पदार्थों में वाच्य की सिद्धि ९४७ से १४८ २१८ से २२३ २१८ से २२३ २१८ से २११ २१९ से २२२ २२२ २२३ २२३ से २२९ २२३ ८११ २२४ से 12424 २२९ से २३५ २२९ से २३५ २३५ से २५३ २३५ से २५३ २५३ से २७४ २५३ से २७४ २५३ २५४ २५५ से २५८ २५८ से २६० २६० से २६६ २६७ से २६८ २६८ २६८ से २६९ ११० से ९१७

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