Book Title: Gita Darshan Part 07
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 317
________________ * दैवी संपदा का अर्जन * छिपा रहेगा। उसके प्रकट होने के लिए अंतःकरण की सारी परतें में पैदा हुए, लोगों ने उन्हें बुरा कहा, क्योंकि जिस यहूदी समाज में अलग हो जानी चाहिए। वे पैदा हुए, उसकी मान्यताएं उन्होंने नहीं मानीं। तो जीसस को क्यों कृष्ण अर्जुन से ऐसा कह रहे हैं? क्योंकि अर्जुन जो ज्ञान लोगों ने आवारा, उपद्रवी, अपराधी समझा, इसलिए यहूदियों ने की बातें कर रहा है, वे उसके अंतःकरण से नहीं आ रही हैं; वे | जीसस को सूली लगाई। सूली लगाते वक्त उन्होंने खयाल रखा कि सामाजिक धारणाएं हैं। वह कह रहा है, ये मेरे गुरु हैं; तो जिस गुरु जीसस को अपराधियों के साथ सली लगाई जाए। तो दोनों तरफ के मैंने चरण छुए, उसकी मैं हत्या कैसे करूं! कि ये मेरे सगे भाई दो चोरों को सूली पर लटकाया, बीच में जीसस को, ताकि समाज हैं, कि मेरे बंधु-बांधव हैं, ये मेरे मित्र, प्रियजन हैं। ये जो उस तरफ समझ ले कि एक अपराधी की तरह हम जीसस को सजा दे रहे हैं। खड़े हैं युद्ध में, इसमें अनेक मेरे संबंधियों के संबंधी या संबंधी हैं। इस आदमी ने समाज की धारणाओं का विरोध किया, यह बुरा भीष्म पितामह उस तरफ हैं, वे मेरे आदर योग्य हैं। इन सबके साथ आदमी है। मैं कैसे युद्ध करूं? ये मेरे अपने हैं, ये सगे-संबंधी हैं। लेकिन फिर जीसस के मानने वाले लोगों का समाज धीरे-धीरे कौन आपका अपना है? निर्मित हुआ और जीसस उनके लिए सबसे अच्छे आदमी हो गए। जीसस एक भीड़ में खड़े थे। और उन्होंने एक बड़ा कठोर वचन | तो जीसस से कोई अच्छा आदमी हुआ ही नहीं ईसाइयों के लिए। उपयोग किया है, जिसकी निरंतर आलोचना की गई है। क्योंकि बड़ी कठिनाई है। यहूदियों के लिए यह आदमी बुरा है, सूली लगाने जीसस जैसे व्यक्ति से ऐसे शब्द की आशा नहीं थी। किसी ने भीड़ | | योग्य है। ईसाइयों के लिए यह आदमी भला है, परमात्मा का में आवाज दी कि जीसस, तुम्हारी मां मरियम तुमसे मिलने बाहर आई | | इकलौता बेटा है, पूजने योग्य है। यही एकमात्र सहारा है मुक्ति है। तो जीसस ने कहा, मेरी न कोई मां है, न मेरा कोई पिता है। । का। यही मार्ग है, द्वार है; इसके बिना कोई द्वार नहीं है। कठोर वचन है। और जीसस जैसे अत्यंत करुणावान, महा इतनी भिन्न धारणा! करुणावान व्यक्ति से ऐसी बात की आशा नहीं है। निश्चित ही, | अंतःकरण का सवाल नहीं है। यहूदी के पास एक सामाजिक उनका प्रयोजन कुछ भिन्न है। धारणा है, उससे तौलता है। ईसाई के पास दूसरी सामाजिक धारणा जीसस यह कह रहे हैं कि कौन मां है! कौन पिता है! जहां तक | है, उससे तौलता है। शुद्ध अंतःकरण का सवाल है, न कोई पिता है, न कोई माता है। न | इस मुल्क में ऐसा निरंतर हुआ है, हर मुल्क में होगा, हर मुल्क कोई भाई है, न कोई बंधु है। जहां तक समाज के द्वारा दिए गए | में होता रहा है। जो आज हमें बुरा दिखाई पड़ता है, कल भला हो अंतःकरण का संबंध है, मां है, पिता है, भाई-बंधु हैं। ये सब सकता है। समाज की धारणा बदल जाए, तो मापदंड बदल जाता सिखावन हैं, से सब संस्कार हैं। है। जो आज हमें अच्छा लगता है, वह कल बुरा हो सकता है। . अर्जुन कह रहा है, यह बुरा है। और कृष्ण यह कह रहे हैं कि | धारणा बदल जाए, तराजू बदल जाता है, तौलने के उपाय बदल यह तेरे अंतःकरण की आवाज नहीं; तुझे जो-जो बुरा बताया गया जाते हैं। है, उसे-उसे तू बुरा कह रहा है। यह तेरी अपनी प्रतीति नहीं है, तेरी | अंतःकरण की शुद्धि से अर्थ अच्छे आदमी का अंतःकरण नहीं अंतःप्रज्ञा नहीं है, तेरा बोध नहीं है। यह तू नहीं कह रहा है, तेरे भीतर है। अंतःकरण की शुद्धि का अर्थ है, शुद्ध अंतःकरण। शुद्ध से समाज की धारणाएं बोल रही हैं। अंतःकरण का अर्थ अच्छा नहीं है। शुद्ध अंतःकरण का अर्थ है, और जब तक समाज की धारणाओं को हम हटा न सकें, तब | | जिसमें कुछ और मिलाया हुआ नहीं है। तक शुद्ध अंतःकरण का कोई पता नहीं चलता। शुद्ध अंतःकरण का __ और ध्यान रहे, दो शुद्ध चीजें भी मिल जाएं, तो अशुद्धि पैदा मतलब यह नहीं है कि भले आदमी का अंतःकरण। क्योंकि जिसको | | होती है। शुद्ध पानी और शुद्ध दूध को मिला दें, तो दोहरी शुद्धि हम भला आदमी कहते हैं, वह तो समाज की ही मान्यताओं को पैदा नहीं होती। पानी भी अशुद्ध हो जाता है, दूध भी अशुद्ध हो मानकर चलने वाला आदमी है; उसको हम भला कहते हैं। बुरा जाता है। अशुद्ध का मतलब है, कुछ अन्य मिला दिया गया, कुछ हम उसको कहते हैं, जो समाज की मान्यताएं नहीं मानता। | विजातीय मिला दिया गया। शुद्ध का अर्थ है, कुछ भी मिलाया मगर यह धारणा रोज बदल जाती है। क्योंकि जीसस जिस जमाने नहीं. खालिस. जैसा था वैसा। |289]

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