Book Title: Gita Darshan Part 07
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 400
________________ * गीता दर्शन भाग-7 सफल होता है जीवन में? जिसे शांति का अनुभव हो जाए, जिसे | मतलब है, वापस लौट जाना। होशियार से होशियार आदमी भी आनंद की प्रतीति हो जाए, जिसे समाधि की झलक मिल जाए। | क्रोध में आ जाए, तो नासमझी का व्यवहार करता है, जो बचकाना __ अगर मुझसे पूछे सफलता की परिभाषा, तो समाधि सफलता | है। बच्चों की तरह पैर पटक सकता है, सामान तोड़ सकता है, की परिभाषा है। जिन्हें समाधि का थोड़ा रस आ जाए, जो नाच उठे | चीख-पुकार मचा सकता है। यह रिग्रेशन है, पीछे लौटना है। समाधि में, जिनका हृदय पुलकित हो उठे समाधि में, वे ही केवल | पीछे लौटना हमेशा आसान है। क्योंकि पीछे लौटने का मतलब सफल हैं। है, वहां से हम गुजर चुके हैं, वह रास्ता परिचित है, उसे पाने के और बुरा कभी समाधिस्थ नहीं हो सकता। बुरा तो संतप्त ही | | लिए कोई खोज नहीं करनी है। होगा, चिंतित होगा। उसका मन धीरे-धीरे और नारकीय, और | | दैवी संपदा का अर्थ है कि हमें आगे बढ़ना है, ऊंचाई छूनी है। नारकीय होता चला जाएगा। | जितनी ऊंचाई छूनी है, उतना श्रम होगा। और जितनी ऊंचाई छूने तो पहली बात तो यह, आसुरी संपदा फूलती-फलती दिखाई की हम कोशिश करेंगे, उतनी भूल-चूक भी होगी, हम गिरेंगे भी। पड़ती है, क्योंकि उसी संपदा की चाह हमारे भीतर है। आसुरी - याद रखें, केवल वही गिरता है, जो ऊंचा उठना चाहता है। नीचे संपदा कभी फली-फूली नहीं है। जिनके मन में दैवी संपदा की चाह | गिरने वाले को तो गिरने का कोई कारण ही नहीं है। है, वे हमेशा देखेंगे कि आसुरी संपदा सदा भटकी है, दुखी हुई है; दैवी संपदा हमसे ऊपर है, उसके लिए हाथ बढ़ाने पड़ें, यात्रा कभी फली-फूली नहीं, सदा नष्ट हुई है। करनी पड़े, हिमालय के शिखर की तरह हमें गौरीशंकर की तरफ और दूसरी बात, दैवी संपदा की फसल इतनी दुर्लभ क्यों है? | बढना पडे। उसमें अडचन होगी ही. असफलता भी हो सकती है: दुर्लभ इसलिए है कि जीवन के कुछ नियम समझ लें, तो खयाल | गिरेंगे भी, कभी रास्ता भी खो जाएगा। नीचे उतरने के लिए न गिरने में आ जाए। का कोई डर है, न रास्ता खोने का कोई डर है; रास्ता परिचित है, एक, कि बुरा करने के लिए आपको कुछ भी करना नहीं पड़ता, जाना-माना है, उससे हम गुजर चुके हैं। और फिर नीचे उतरने में वह ढाल है। पानी को बहा दिया, पानी अपने आप गड्ढों में चला | कोई प्रतिरोध न होने से सुगमता है। ऊपर चढ़ने में सारे शरीर पर जाता है। गड्ढों में जाने के लिए पानी को कुछ करना नहीं पड़ता। जोर पड़ेगा। पहाड़ पर चढ़ना हो, तो बड़ी कठिनाई है। फिर पानी को चढ़ाने का | अमेरिका का बहत बड़ा वैज्ञानिक हुआ, थामस अल्वा आयोजन करना पड़ता है। आयोजन में श्रम होगा। आयोजन में एडिसन। उसने कोई एक हजार आविष्कार किए। दूसरे किसी असफलता भी हो सकती है। मनुष्य ने इतने आविष्कार नहीं किए। छोटे से लेकर बड़े तक, बुरा ढलान है। बुरे का मतलब यह है कि जो हमसे नीचे है। भले बिजली, रेडियो, टेलीफोन, अनेक आविष्कार उसने किए हैं। का अर्थ है कि जो हमसे ऊपर है। बुरे का अर्थ है, जहां से हम गुजर उसका घर आविष्कारों से भरा था। लोग उसके घर आते थे, तो चुके। हम पशु थे, पौधे थे। वहां से हम गुजर चुके। अगर आप चकित होते थे, क्योंकि सब चीजों में उसने कुछ न कुछ किया था। वापस लौटना चाहते हैं, तो बिलकुल आसान है। उसके पूरे घर में नए-नए आविष्कार थे। पानी की टोंटी के नीचे ऐसा समझें कि एक व्यक्ति स्कूल में परीक्षाएं पार कर-करके हाथ रखिए और पानी गिरने लगे, खोलने की जरूरत नहीं; हाथ मैट्रिक में पहंच गया है। अगर वह पहली की परीक्षा फिर से देना अलग करिए और पानी बंद हो जाए। चाहे, तो क्या कठिनाई होगी! कोई कठिनाई न होगी। अगर वह एक दिन अमेरिका का प्रेसिडेंट उसके घर उसके आविष्कार पहली कक्षा में प्रवेश पाना चाहे, तो कोई अड़चन नहीं है, कोई उसे | देखने गया था। हर चीज देखकर चकित हुआ। उसने अनूठे-अनूठे रोकेगा भी नहीं। और वह बड़ा सफल भी होगा पहली कक्षा में! | | यंत्र खोजे थे। चलते वक्त अमेरिकी प्रेसिडेंट ने कहा, और सब तो जहां से हम गुजर चुके हैं, विकास की जिन सीढ़ियों को हम पार | ठीक है, एक बात मेरी समझ में नहीं आई। तुम जैसा आविष्कारक कर चुके हैं, उनमें वापस उतरना हमेशा आसान है। बूढ़े से बूढ़े | बुद्धि का आदमी, जिसने घर को आविष्कारों से भर रखा है, आदमी को अगर आप क्रोध में ला दें, तो वह बच्चे के जैसा | जिसकी हर चीज अनूठी और तिलिस्मी है, लेकिन तुम्हारे मकान व्यवहार करने लगता है। वह बिलकुल आसान है। बच्चे का का जो बगीचे का दरवाजा है, वह इतना भारी है कि खोलने में बड़ी 1372|

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