Book Title: Gita Darshan Part 07
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 415
________________ * जीवन की दिशा * उपयोग न करें, पैर पक्षाघात से भर जाएंगे। लेकिन कामेंद्रिय भिन्न __ आप पच्चीस वर्ष तक अपने को सब तरह की कामवासना से है। उसके कारण समझ लें। बचा लें, तो भी ऊपर-ऊपर ही बचाव हो रहा है, भीतर तो मन __ आपके शरीर का प्रत्येक कण कामवासना से निर्मित है। आंख | | कामवासना में ही चल रहा है। और वह जो भीतर कामवासना बह तो छोटा-सा हिस्सा है, कान तो छोटी-सी हड्डियों का जोड़ है। | रही है, चित्त में जो विचार चल रहे हैं, वे कामेंद्रिय को सजग रखेंगे, लेकिन काम-इंद्रिय आपके पूरे शरीर को घेरे हुए है। वह जो मां के | जीवित रखेंगे। गर्भ में पहला अणु निर्मित हुआ था, वह कामवासना से निर्मित हालत तो उलटी है। अगर आपको कामवासना का अतिशय हुआ। फिर उसी अणु के विस्तार से आपका पूरा शरीर निर्मित हुआ | उपयोग करने दिया जाए, तो कामवासना मर भी जाए; उपयोग न है। आपका प्रत्येक अणु कामवासना से भरा है। करने दिया जाए, तो नहीं मरेगी। इसलिए आंख फोड लें. कान तोड डालें. हाथ काट डालें. __ मैं एक फ्रेंच चिकित्सक मोरिस मैक्यू के संस्मरणों का एक कामवासना में अंतर नहीं पड़ेगा। जननेंद्रिय को लोग कामेंद्रिय | | संकलन पढ़ रहा हूं, आफ मेन एंड प्लांट्स। उसने अपने संस्मरणों समझ लेते हैं, उससे भूल हो जाती है। जननेंद्रिय कामेंद्रिय का शरीर | | की एक किताब लिखी है। वह जड़ी-बूटियों के संबंध में बड़े से के ऊपर सिर्फ अभिव्यक्ति है। जननेंद्रिय सिर्फ कामेंद्रिय के उपयोग | | बड़ा ज्ञाता है। और जड़ी-बूटियों के द्वारा उसने हजारों मरीजों को का द्वार है। लेकिन आपका पूरा शरीर कामवासना है। इसलिए ठीक किया है। और दुनिया के बड़े-बड़े लोग उसे निमंत्रण देते रहे जननेंद्रिय भी काट डालें, तो भी कामवासना नहीं मिटेगी। हैं। चर्चिल, बड़े अभिनेता, बड़े लेखक, बड़े कवि, राजा-महाराजा कामवासना तो तभी मिटेगी, जब आप अपनी आत्मा को शरीर उससे इलाज करवाते रहे हैं। तो उसने सारे संस्मरण लिखे हैं। उसने से बिलकुल पृथक अनुभव कर लें। उसके पहले नहीं मिटेगी। अगर प्रिंस अली खां का भी संस्मरण लिखा है, आगा खां के लड़के का। शरीर से रंचमात्र भी तादात्म्य है, अगर जरा-सा भी जोड़ है कि मैं | । प्रिंस अली खां ने उसे फोन किया और कहा कि कुछ निजी शरीर हूं, तो उतनी कामवासना कायम रहेगी। आंख नष्ट हो जाएगी | | बीमारी है, कुछ गुप्त बीमारी है, उसके लिए तुम्हें आना पड़े। प्रिंस बड़ी आसानी से, कामवासना इतनी आसानी से नष्ट नहीं होगी। । | अली खां का निमंत्रण बड़ी बात है। चिकित्सक भागा हुआ उनके दूसरी बात, आप कामवासना से पैदा हुए हैं। आपके पैदा होने में | | महल पर पहुंचा। सबको विदा करके प्रिंस अली ने अपनी बीमारी कामवासना का प्रगाढ़ हाथ है। तो जब तक आप में जीवन की | | बतानी शुरू की। चिकित्सक को भी लग तो रहा था कि बीमारी आकांक्षा रहेगी, तब तक कामवासना से छुटकारा न होगा। जब तक | | कामवासना से संबंधित होगी, यौन की होगी, इसलिए इतनी गुप्तता आप चाहते हैं कि मैं बचूं, जीऊं, रहूं, तब तक आप कामवासना से | | रखी जा रही है। प्रिंस अली खां ने कहा कि मेरी कामवासना मुक्त न होंगे। क्योंकि जीवन पैदा ही कामवासना से हुआ है; और बिलकुल खो गई है, क्षुधा मेरी मर गई है, मुझे इच्छा ही नहीं होती। . आप जीना चाहते हैं, तो कामवासना को बल मिलता है। कुछ करो! जिस दिन आपकी जीवेषणा छूटेगी, और आप कहेंगे कि मैं | तो चिकित्सक ने पूछा कि आप महीने में कितनी बार संभोग मिटूं, खो जाऊं, समाप्त हो जाऊं, वही मेरा आनंद है; अब मैं | करते हैं? प्रिंस अली खां खिलखिलाकर हंसने लगा, और उसने बचना नहीं चाहता, अब मैं रहना नहीं चाहता, अब इस देह को घर | कहा, महीने में! हर रोज दिन में तीन बार करता हूं। लेकिन इच्छा नहीं बनाऊंगा, अब मैं मुक्त हो जाना चाहता हूं सब सीमाओं से; | | बिलकुल मर गई है। कोई वासना नहीं पैदा होती। बस, एक यांत्रिक जिस दिन जीवन की जगह मृत्यु आपका लक्ष्य हो जाएगी, उस दिन | कृत्य की तरह कर रहा हूं। कामवासना मिटेगी। उसके पहले कामवासना नहीं मिटेगी। । ___ अब यह कोई बीमारी न हुई। अगर दिन में कोई तीन बार संभोग इसलिए पच्चीस वर्ष, पच्चीस जन्म भी कामवासना को दबाए | | कर रहा है, तो इच्छा मर ही जाएगी। इच्छा क्या, वह खुद भी मर रखने से उसका अंत नहीं होता। फिर जितना आप उसे दबाते हैं, | | जाएगा जल्दी। उतनी ही वह बढ़ती है। क्योंकि भला आप कामेंद्रिय का उपयोग न | ___ कामवासना का अगर ज्यादा उपयोग किया जाए, तो मर जाती करें, जननेंद्रिय का उपयोग न करें, लेकिन चित्त कामवासना में लगा | | है। अगर बिलकुल उपयोग न किया जाए, दबाकर रखा जाए, तो ही रहता है। तो आपका शरीर तो संलग्न है। सजीव रहती है, जीवित रहती है। लेकिन न तो बहुत उपयोग करने 387

Loading...

Page Navigation
1 ... 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450