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॥ वन्दे वीरमानन्दम् ॥ ॥श्री गिरनार गल्प ॥
चरम तीर्थकर श्रीमन्महाबीर देवके समयमे -क्रिया-अक्रिया-अज्ञान-विनय-आदि पक्षांकोस्वीकारने वाले ( ३६३ ) मतावलंबी कहेनाते थे, परंतु-हाल के वर्तमान युगमें उस संख्या की भी सीमा नही रही । समयको गतिके साथ धों की गतिका भी परिवर्तन होता है, आज भारत वर्ष के अन्यान्यलभ्य और दृश्य अनुमान (३१) क्रोड़ के जनसमुदित वस्तिपत्रकमें, बावन लाख साधु और-तीन हजार पंथ मुने जाते हैं । धर्म और धर्मियोंकी इस विशाल संख्या ज्यादा हिस्सा आ
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