Book Title: Girnar Galp
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Hansvijayji Free Jain Library

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Page 11
________________ (८) चौमासां को. छेल्लुं चोमासु पाल ताणा पासे ताजा गाममा रह्या. ते गाममा प्लेगनो उपद्रव होवायी अने मुनिए धर्मक्रियाना निर्वाह माटे रोगादिक उपद्रव वाळा स्थाननी त्याग करबो एबो विधिमा होबायो माराजश्री तलाजाथो विहार करो त्रापन गाम पधार्या, त्यां शरोरे व्याधि थवाथो संवत १९७८ नो सालमां कारतग शुदी ३ ने रोज काळधर्म पाम्या. एवा मुनि महाराननु गुणकीर्तन करवायी हुं मारा आत्माने कृतार्थ थयो मार्नुछु. अने था अल्प जीवनवृत्तांत वांचनार बोना महाशयो पग शानादि गुग प्राप्त । करी पोताना प्रात्माने कृतार्थ करे ए हैतुथी महाराजश्रोनुं टुंक जीवनचरित्र मारी अल्पमति प्रमाणे लखेलं . छे, तेमां जे कंइ भूल चूक अविनय अने अनादर ययो होय तो हुं अंतःकरवपूर्वक क्षमा मागुंडं. -इत्यलं. ___ ता. क. आ चुकोनो तमाम सर्व लुणसावाडावाला रा. रा. मामलतदार उपाभाइ जेठाभाइए आपेलो के अने उपरतुं चरित्र को पलायोल पतिदिया मुकबामा मान्य के प्रसिद्ध कर्ता. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Unnaway. Surratagyanbhandar.com

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