Book Title: Girnar Galp
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Hansvijayji Free Jain Library

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Page 10
________________ (१७) मक्ति. आंश्यक क्रिया विशेरे:- अनेक धर्मकार्य की न.नीराइए पवित्र तीर्थस्थल : पालीतापमान देद त्यात को -FFA महाराज श्री मोघविजयजोनी भक्ति निमिचे हो पण ओनो काळधर्मनों लिकि माने त्या जा गिरथी देवभक्ति करवामां आवे केबाद, (श्री सागररानंद सही करना संसारीपणाला धर्मपानको सामना टुंबपी हीला श्री सासदा मुवीश्वर अले महोत हातरछेर - ITER . EF: श्री मणिविजयनी महाजे संत आहे मात्र व्याकरणाचल सारी जीते संपादन का - साम्रा रहो शेठ क्रोलामाइ करमकली सहायधी श्रीमंता सस्कार मामबाड मनराजना शास्त्री काशी विासी-समामाभाइ वामे यायचासतो; अभ्यास कर्यो, तेमज अंग्रेजी भाषाको पण अभ्यास कर्यो. संकामा पो मासा पल्याम पट्टी मळी, - तेश्रोएलान, अमदावादाणी, कालोझा काली सीपीवदाग हा पेटला, सुभात, गार वन्दरा, अनेतना विमेरे सामो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Unwaxay.Soratagyanbhandar.com

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