Book Title: Gautam Pruccha Author(s): Lakshmichandra Jain Library Publisher: Lakshmichandra Jain Library View full book textPage 7
________________ (२) अब दस गाथाओंके द्वारा उडतालीस प्रश्नोंके नाम कहते हैं। भयवं सुच्चिय नरयं सुच्चिय जीवो पयाइ पुण सगं । मुच्चिय किं तिरिएमु मुच्चिय किं माणुसो होइ ॥ २ ॥ मुच्चिय जीवो पुरिसो सुच्चिय इत्थी नपुंसओ होइ । अप्पाऊ दीहाऊ होइ अभोगी सभोगी य ॥ ३ ॥ केण व सुहवो जायइ केण व कम्मेण दुहवो होइ । केण व मेहाजुत्तो दुम्मेहो कहं नरो होइ ॥ ४ ॥ कह पंडिउत्ति पुरिसो केण व कम्मेण होइ मुक्खत्तं । कह धीरू कह भीरू कह विज्जा निष्फला सफला ॥५॥ केण विणस्सइ अत्थो कह वा संमिलइ कहं थिरोहोइ । पुत्तो केण न जीवइ बहुपुत्तो केण वा बहिरो ॥ ६ ॥ जच्चंधो केण नरो केण व भुत्तं न जिज्जइ नरस्स । केप व कुट्टी कुजो कम्मेण य केण दासत्तं ॥ ७ ॥ केण दरिदो पुरिसो केण कम्मेण ईसरो होइ । केण व रोगी जायइ रोगविहूणो हवइ केण ॥८॥ कह होणंगो मूओ केण कम्मेण ढूंटओ पंम् । केण सुरूवो जायइ रोगविहूणो हवइ केण ॥ ९ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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