Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 10
________________ मिलेगा। पूरे रास्ते सभी को सूचना करता रहा कि जिनको भी संभव हो तुरन्त हरिद्वार पहुँचें। जो-जो राजीव भाई को अपना गुरू मानते थे, अपना सखा मानते थे, अपना भाई मानते थे वे सब हरिद्वार पहुँचे। यह संदेश सभी को पहुँचाने के लिए बोलता रहा। सुबह करीब 4 बजे भिलाई पहुँचा, अनूप भाई के साथ उस अस्पताल में पहुँचा जहाँ राजीव भाई चिरनिद्रा में लेटे थे। जब आई.सी.यू में पहुँचा तो वे बिस्तर पर लेटे हुए थे। वेन्टीलेटर चल रहा था। कृत्तिम सांस चालू थी। असली सांस बंद थी। आँखे आधी खुली हुई थीं। जैसे महात्मा बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा की आँखे खुली हुई हैं, ठीक वैसी ही, समाधि जैसी स्थिति थी। पता नहीं किसका इंतजार करते हुए सांस निकली थी या पता नहीं क्या सोचते-सोचते सांस निकली, चेहरा एकदम शांत था। कोई तकलीफया परेशानी जैसा कुछ भी नहीं लगा। चेहरे पर चमक बरकरार थी। डॉक्टर ने आकर कुछ बताया, पता नहीं क्या कहा। बस इतना ही समझ में आया कि राजीव भाई नहीं रहे, केवल वेंटीलेटर चालू है। वेन्टीलेटर निकालने के लिए कहा और उनको शांति से सुला देने के लिए कहा, उनकी खुली हुई आंखें बंद की और चरणों में प्रणाम किया, सिपर्फ एक ही बात मन से निकली इतनी जल्दी क्यों चले गये। अभी तो बहुत काम करना था। बहुत लड़ना था। अपने सपनों का स्वदेशी भारत बनाना था। यह सच है कि अपनी अन्तिम सांस तक राजीव भाई अपनी कर्मभूमि में डटे रहे। देश को स्वदेशी बनाने के अभियान को जन-जन तक पहुँचाने में लगे रहे जैसेएक सैनिक लड़ाई के अन्तिम दौर तक अपनी स्थिति नहीं छोड़ता; चाहे उसके प्राण ही क्यों न चले जाये वैसे ही राजीव भाई अन्तिम समय अपनी समरभूमि में ही थे। उस समय लगभग 5 बज रहे थे। उनका शरीर सुबह 9-10 बजे तक फ्रीजर में रखा गया। उस समय स्वामी जी का शिविर शिकोहाबाद में चल रहा था वहीं से उन्होंने राष्ट्र को राजीव भाई के जाने का संदेश दिया, पूरे देश में राजीव भाई को जानने वाले और चाहने वालों के लिए यह शोकाकुल संदेश सदमा पहुँचाने वाला था। उनके अंतिम संस्कार की खबर दी गई की वह हरिद्वार में होगा। दूर-दूर से लोग हरिद्वार पहुँचने के लिए निकल पड़े। सुबह 9 बजे अस्पताल के नीचे वाले हिस्से में ही उन्हें अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, भिलाई शहर के हजारों स्वदेशी प्रेमी भाईयों-बहनों ने उनके दर्शन किए। लोगों के आँसू रूक नहीं रहे थे। मेरे तो आँसूही सूख गये थे। आँखें पत्थर हो गई थी, करीब 11 बजे उनको रायपुर लेकर गये वहाँ पर भी उनको अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। छत्तीसगढ़के मुख्यमंत्री डॉ. रमण सिंह जी अपनी श्रद्धांजलि देने आये, और उसके बाद उन्हें एयरपोर्ट लेकर आये जहाँ हजारों भारत स्वाभिमान के कार्यकर्ता उनको अंतिम स्वदेशी कृषि

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