Book Title: Ganeshvrat Katha Author(s): Publisher: View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥छचंचोपानीदद्यात्कमंडलुशहादिभिः॥४४॥आचार्यपूजयेदेविगणेश-| स्यचतुष्टये।एवंरुत्वाविधानेनप्रसन्लोहंनसंशयः॥४५॥ ददामिवांछितंतेश्यो यैर्भत्यामहतंकृतम्॥ ॥श्रीरुष्णज्वाच॥ ॥एवंतुकथितंपूर्वगणे शेनस्वयंनृप॥पार्वत्या राधितोतेनकतेनैवसुनिश्चितम्॥४६॥व्रतेनानेना सासाध्वीमहादेवंसमग्रहीत् ॥क्रीडतेतेनसाध्यापिगणेशस्येप्रसादतः॥४७॥ तत्कुरुष्वमहाराजव्रतसंकष्टनाशनम्॥चतुर्थीसंकटानामव्रतमेतन्महासभा म्॥४०॥॥स्कंदउवाच॥ ॥एवरुष्णमुखाच्छ्रत्वावतंसंकष्टनाशन मारुतंधमैणविप्रेद्राराज्यकामेनवैपुरा॥४९॥तेचशैत्रून्निहत्यैवस्वराज्य प्रतिपेदिरे॥तस्मात्सर्वप्रयत्लेनव्रतंकार्यविचक्षणैः॥५०॥येनधर्मार्थकामा For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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