Book Title: Ganeshvrat Katha
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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गब दिवौकसभ्यसेंद्रास्तेविष्णुंशरणमाययुः॥७॥तदुक्तंतुनिशम्याथविष्णुःप्रो, कथा. वाचनिर्जरान्॥समुद्रस्याभयंलब्वाप्रबलास्तेतिदुर्मदाः॥८॥अवध्यादेव|| तानांतुवरमापुः पितामहात्॥अगस्त्यस्तोषितःसंर्वसंपास्यत्वंबुधिंमुनिः॥ ॥९॥आयास्यतिपुनःस्वर्गपितुरंतेयथासुखम् ॥तस्मान्मुनेःसहायेनयुष्भत्का भविष्यति॥१०॥श्रुत्वाऽगस्त्याश्रमंगत्वातुष्टुवुर्मुनिसत्तमम्॥ मुनि प्रसन्ना स्ताग्राहमारितिसुनिश्चितम्॥११॥ततोदेवॉदिवंजग्मुरगस्त्यश्वितयातुरः | कथंपेयःसमुद्रोयलक्षयोजनविस्तरः॥१२॥तदागणेश्वरंस्मृत्वासंकष्टनी तमुत्तमम्॥चकारविधिनासम्यगगस्त्यश्वमहामुनिः॥१३॥ विभिर्मासैर्गणाध्यक्षः प्रसन्नःसमजायत॥नत्प्रभावादगस्स्येनपीतःपाथोनिधिःसुखम्॥ For Private and Personal Use Only

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