Book Title: Ganeshvrat Katha
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir षष्ठभावसंस्थौचेत्तदानद्भावः नुः नालेयांशोचंद्रेखलखग सहिते पापय हयुक्तेशत्रुभावस्थे कनिष्पीडितेशनिप्रतिभिःक्रूरय है: योगेनदृष्ट्यावापीडितेतनुसदः .....नशीतकरे चंद्रतहानोगीस्यात् भया पालेयांशौरिपुस्येरवलरवगसहितेमानवोरोगवान्स्याल्कूरैर्निष्पीडितश्चेत्तनुसद नगतःशीतरश्मिस्तदानीं क्रूरैकेंदालयस्थेयदिशाविहगर्नेक्षितेरोगवान्स्या त्तस्मिन्काव्यालयस्थेकुजगुरुकविभिनेक्षितेतहदेव 21 प्रिहित केंदगा क्रूरश्चेद्रोगयान्स्यात् स्मिन्क्रूरेशकराशिसंस्थेकुजशकगुरुभिर्नदृष्टेतहदेवरोगवा नेवस्यात् अत्रयद्यपिविशेषेनोक्तस्तथापियोगकर्तृगृहस्वामिकफवातपित्तादिकोपजन्यो। For Private and Personal Use Only

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