Book Title: Ganeshvrat Katha
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Page 74
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बतराजका पुस्तक अच्छा जाडा कागदकासशोपित सांचा का, टाइपके उपर अपनेका काम चला है. और पूजापंकज भास्कर' यह अति उत्तमग्रंथ सबलोगोंके हितार्थश्री महाराजा परमउदार श्री मैथिलाधिपति ( दरभंगाके ) इन्होने शास्त्री द्वारा अनेका ग्रंथोंका प्रमाणसें वणवायके तयार किया है सो भी छपके तयार होताहै. एक महि नेसे चाहेर पडेगा. और यह श्री वेंकटेश्वरछापरवानेमें जाडे कागद , बडा अक्षर और अच्छी शाईसें ग्रंथ छपजाते हैं. राईप और शिलाक्षर दोनो हैं: पत्ता इस मुजब लिरवना- श्री मुंबई में, मुंबादेवी बजारमें, मेहेर यानकी चालीमें श्री वेंकटेश्वरछा परवाने में श्री गंगाविष्णु श्रीकृष्णदासबजाज के पास पहुंचे. For Private and Personal Use Only

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