Book Title: Ganeshvrat Katha
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समतिमताजन्मलमाभिज्ञेनदैवज्ञेन जनकाचाबादोज्ञेयहोरागम जतिकशास्त्रविडिरधिक बलवतांग्रहा . कार्यः तत्राधिकबलरविविधुकुनुवां रविसूर्यचंदोमानांअंगदिक शेलसंर ....यषपाणिचंद्रस्यदशरूपाणिमोमयावंतोवाविहंगामदनसदनगाश्चेनिजाधीशदृष्टास्तावतोनुर्विवाहास्वथसमति मताज्ञेयमित्थंकुटुंबे कार्योहोरागम रधिकबलवतारखेचराणांहियोगादादे श्यतत्रवीर्यरविविधुकु सुवामंगदिशैलसंख्य 23 स्यसप्तरूपाणि अन्येषा षट्पाण्येव अंगरूपाधिकोयलीतिपइतिवचनात् 23 गृहिणीकारकाः सप्तमभावेशभयहाः शकेंडुजीवशशिजैः सकलै स्विभिर्वाहात्यांकलत्रभवनेरतयैककेन एषार For Private and Personal Use Only

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