Book Title: Ganeshvrat Katha
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Page 71
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुझंच पूजनीयोगणाधिपः / / पंचामृतैः कृतस्नानं षोडशैरुपचारकैः॥५०॥ कया. गस्तैः करवीरपुषैर्नैवेद्येर्मोदकादिभिः // रक्तपुष्पाक्षतै रेभिर्नामपदैः || |अ. पृथक् // 51 // विश्वप्रियापेत्याचमनंस्नानंचब्रह्मचारिणे / / वस्त्रंगणेश्वराये तिपुष्टिदायेतिचंदनं // 52 // विनायकायपुष्पाणिपंचोमासुतायच॥ दीपं रुद्रप्रिया येतिनैवेपंधिननाशिने // 53 // तांबूलं फलदायेतिफलं संकष्टनाशिने॥ ततः संप्रार्थपेद्देवंविनेशंचगणाधिपम् // 54 // संसार पीडाव्यथि तंभयातक्लेशान्वितंमांसुमुखप्रसीद। घायस्वमांदुःरपदरिद्रनाशननमोनमो विमविनाशनाय // 55 // पुष्पांजल्यामिममंत्रचन्द्रायाय प्रदापयेत् ॥क्षी राभोधिसमुद्भूतद्विजराजकुलाधिप // 56 // रोहिण्यासहित अंद्रगृहाणा For Private and Personal Use Only

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