Book Title: Ganeshvrat Katha
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कथा. मा. गब तीव्रविक्रमः॥तेनतत्रप्रगतज्यसत्यंसत्यंवदामिवः॥१॥बलेनलंपितुसि धर्नान्यथालंधितुंक्षमः।। इतितस्यवचः श्रुत्वाहनूमान्प्राहबुद्धिमान्॥१९॥ संपातेकेनमार्गणगंतव्योदुस्तरोंबुधिः॥अशक्तावानराःप्ररव्यमहमेकासमा गतः॥२०॥ इतितस्यवचः श्रुत्वासंपातिःपुनराहतम्॥संकष्टनाशनंचैवव्रतं कार्यत्वयासरचे॥२१॥ एतद्तप्रभावेनतरिष्यस्यंबुधिंक्षणात्॥संपातेरुप देशेनसंकष्टव्रतमुत्तमम्॥२२॥रुतंहनूमतादेविलंधितोवारिधिःक्षणात्॥ निदृशवंतेतेलोकेव्रतमन्यत्सुरवपदम्॥२३॥ ॥श्रीकृष्णाउवाच॥ // तस्मात्त्वमपिराजेंद्रव्रतमेतत्समाचर ॥हत्या हवेरिपून्सन्सिंपदंप्राप्स्पसिक्षणात् // 24 // // इतिश्रीस्कंदपुराणेमार्गशीर्षकष्णचतुर्थीव्रतकथासंपूर्णा // 5 // // For Private and Personal Use Only

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