Book Title: Ganeshvrat Katha
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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मा. गना हाकायसूर्यारुणसमप्रभ जटाकलापसुभगवाहिमांपुत्रदुःखिताम्।।१५।। गजाननचतुर्बाहोभालचंद्रविनायक ॥अनाथनाथवरदपाहिमांपुत्रदुःखि ताम्॥१६॥एवंविलापकुर्वतीनिशाधेचतदासती॥ततःकुलालःप्रातस्तु पात्रपाकदिदृक्षया॥१७॥अवाहमुत्सृजस्तबबालकंक्रीडनेरतम्॥ददर्शजानुदग्धंचजलेतिठंतमद्भुतम्॥१॥ दृष्ट्वासवेपथुस्सूर्णजगामनृपमंदिरम् // लगत्वाजगादायनपस्यायथारुतम्॥१९॥ // कुलालउवाच॥ // हरिश्चंद्रमहाबाहोज्वलदमिसमप्रभ ॥वध्योहंसुतरांराजन्येनकर्मेदृशंकत म्॥२०॥राजन्कन्याविवाहर्थमृत्पात्राणिपुनःपुनः॥ददाहपरिपक्कानिनजाता ||14 ||निकथंचन॥१॥तदारपृच्छंभीतोहंमत्रिणंचेटकेस्थितम्॥समांबालबलिं|| For Private and Personal Use Only

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